12 Rajasthan Ki Devi

राजस्थान की लोक देवीयाँ (Rajasthan Ki Devi)

Contents hide
1 राजस्थान की लोक देवीयाँ (Rajasthan Ki Devi)

rajasthan ki devi (राजस्थान की प्रमुख लोक देेवियाँ) :- मनुष्य की प्रवृत्ति रही है कि किसी न किसी देवी और देवताओं की पूजा अर्चना करने की । वैसे भी भारतीय समाज में नारियों को देवी समझकर उनकी बातों को आशिर्वाद समझकर मना जाता है ।और उनकी पूजा की जाती है ।आज हम पढ़ेंगे “राजस्थान की लोक देवियाँ (Rajasthan ki Devi”।

करणी माता

  • करणी माता का बचपन का नाम रिद्धि बाई था ।
  • करणी माता भारणों की कुलदेवी कहलाती है ।
  • करणी माता बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी कहलाती है ।
  • करणी माता का विवाह ‘देपावत बिंठु’ के साथ हुआ ।
  • करणी माता के वंशज देपावत कहलाते है ।
  • करणी माता के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु कोलायत झील (बीकानेर) में डूबने से हुई । इस कारण चारण जाति लोग कोलायत झील में स्नान नहीं करते है ।
  • करणी माता को ‘चूहों वाली देवी’ कहते है ।
  • सफेद चूहों को काबा कहते है ।
  • करणी माता का मन्दिर को ‘मठ’ कहते है ।
  • करणी माता का मेला नवरात्रों में लगता है ।
  • करणी माता तेमड़ा माता की पूजा करती थी ।
  • करणी माता का एक रूप सफेद चील है ।
  • करणी माता को घरो बाली देवी कहते है ।
  • राव जोधा ने 1459 में मेहरानगढ़ दुर्ग तथा जोधपुर नगर की स्थापना करणी माता के आशिर्वाद से की ।
  • 1488 में राव बीका ने बीकानेर की स्थापना की ।

केला देवी

  • यादव वंश की कुल देवी है ।
  • केलादेवी का मन्दिर त्रिकुट पहाड़ी पर करौली में है ।
  • कालीसिल नदी के किनारे केलादेवी के मन्दिर का निर्माण राघवदास ने किया ।
  • केलादेवी का मेला लक्खी मेला कहलाता है ।
  • केलादेवी का मेला चैत्र शुक्ल अष्टमी को लगता है ।
  • केलादेवी के मेले में लांगुरिया लोकगीतों के द्वारा गाया जाता है ।
  • लांगुरिया गीत एक भक्ति लोकगीत है ।
  • लक्खी मेले में घुमक्कण नृत्य किया जाता है ।
  • दुर्गा अवतारों में यह ऐसा मन्दिर है जहाँ मास का भोग नहीं लगता है ।
  • त्रिकुट पहाड़ी पर बोहरा समाज की छत्तरी बनी हुई है ।
  • बोहरा समाज का उर्स गलियाकोट (डुंगरपुर) में लगता है ।

शीतला माता

  • शीतला माता को चेचक की देवी कहते है ।
  • शीतला माता बच्चों की संरक्षण देवी कहलाती है ।
  • शीतला माता राजस्थान में सर्वत्र पूजी जाती है ।
  • शीतला माता राजस्थान की एकमात्र लोक देवी है जो खण्डित रूप में पुरानी जाती है ।
  • शीतला माता एकमात्र ऐसी देवी है, जिसके ठण्डा भोग लगाया जाता है ।
  • शीतला माता का मन्दिर शील की डुंगरी (चाकसू, जयपुर) में माधोसिंह प्रथम ने बनावाया था ।
  • शीतला माता का मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी को लगता है ।
  • शीतला माता के पुजारी कुम्हार जाति के है लेकिन जोधपुर की कागा की डुंगरी पर शीतला माता के मन्दिर में पुजारी माली जाति का होता है ।
  • शीतला माता का वाहन गधा है ।
  • गधों का मेला लुणियावास (जयपुर) में है ।

ज्वाला माता

  • ज्वाला माता का मन्दिर जोबनेर (जयपुर) में है ।
  • ज्वाला माता खंगारातों की कुलदेवी है ।

ब्राह्मणी माता

  • ब्राह्मणी माता का मन्दिर सोरसेन (बारां) है ।
  • विश्व की एकमात्र ऐसी देवी है जिसकी पीठ की पूजा की जाती है ।
  • सोरसेन (बारां) में राजस्थान का दूसरा गधों का मेला लगता है ।

सच्चियाँ माता

  • सच्चियाँ माता का मन्दिर ओसियाँ (जोधपुर) परमार शासक उपलदेव ने बनवाया था ।
  • सच्चियाँ माता की मूर्ति कसौरी पत्थर से बनी हुई ओसियाँ (जोधपुर) के मन्दिर में है ।
  • सच्चियाँ माता औसवालों की कुलदेवी है ।
  • सच्चियाँ माता साम्प्रदायिक सद्भावना की देवी है ।

जमुवाय माता

  • जमुवाय माता जयपुर के कछवाह शासकों की कुलदेवी है ।
  • दुल्हेराय ने जमुवाय माता का मन्दिर का निर्माण जमवारामगढ़ (जयपुर) में करवाया था ।

सकराय माता

  • सकराय माता को ‘शाकम्भरी माता’ भी कहते है ।
  • सकराय माता ने अकाल पड़ितो की सहायता के लिए कन्दमूल, फल, सब्जियाँ उगाई इस कारण इसे शाकम्भरी माता भी कहते है ।
  • सकराय माता को खण्डेलवालों की कुलदेवी भी कहते है ।
  • सकराय माता का मन्दिर उदयपुरवाटी (झुंझुन), सांभर (जयपुर), सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में है ।

जीण माता

  • जीण माता धंधराय की पुत्री तथा हर्ष की बहिन है ।
  • जीण माता चौहानों की कुलदेवी कहलाती है ।
  • मधुमक्खियों की कुलदेवी कहलाती है ।
  • जीण माता का मन्दिर रेवासा (सीकर) में है ।जीण
  • माता के मन्दिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के शासनकाल में राजा हट्टड़ ने करवाया था
  • ।जीण माता एक बार ढ़ाई प्याला मंदिरा का पान करती थी ।
  • जीण माता का मेला नवरात्रों में लगता है ।
  • सबसे लम्बा लोकगीत जीण माता का है ।
  • लोकदेवताओं में सबसे लम्बा लोकगीत रामदेवजी का है ।

शीला देवी

  • शीला देवी जयपुर के कछवाह शासकों की आराध्य देवी है ।
  • शीला देवी को ‘अन्नपूर्ण देवी’ भी कहते है ।
  • शीला देवी के मन्दिर का निर्माण ‘मानसिंह प्रथम’ ने करवाया था ।
  • शीला देवी की मूर्ति को मानसिंह प्रथम ने पूर्वी बंगाल के शासक केदार न कर लाया था ।
  • शीला देवी की मूर्ति आष्टभुजी भगवती महिसासुर मर्दिनी की है ।
  • पहले यहाँ नरबली दी जाती थी ।
  • भक्तों की इच्छानुसार चरणामृत दिया जाता है ।

आई माता

  • आई माता को नवदुर्गा का अवतार माना जाता है ।
  • आई माता ने नीम के पेड़ के नीचे अपना पंथ चलाया ।
  • रामदेवजी की शिष्या आई माता थी ।
  • आई माता सिरवी जाति की कुलदेवी है ।
  • आई माता का मन्दिर बिलाड़ा (जोधपुर) है ।
  • आई माता के मन्दिर में मूर्ति नहीं होती ।
  • आई माता के मन्दिर में दीपक जलता है, जिससे केसर टपकता है ।
  • आई माता के मन्दिर में गुर्जरों का प्रवेश निषेध है ।
  • आई माता के पुजारी को दीवान कहते है ।
  • वर्तमान में आई माता के पुजारी (दीवान) माधोसिंह है ।
  • आई माता के मन्दिर को ‘बड़ेर’ कहते हैं, लेकिन सिरवी जाति के लोग मन्दिर को ‘दरगाह’ कहते हैं ।

बाण माता (बायण)

  • बाण माता का मन्दिर उदयपुर में है ।
  • बाण माता मेवाड़ के शासकों की कुलदेवी है अर्थात् गुहिल (गहलोद) व सिसोदिया वंश की कुलदेवी है ।

नारायणी माता

  • नारायणी माता का मन्दिर बरवा की डुगरी राजगढ़ तहसील (अलवर) में है ।
  • नारायणी माता मीणाओं की आराध्य देवी है तथा नाईयों की कुलदेवी है ।
  • नारायणी माता की पूजा पर मीणाओं तथा नाईयों में विवाद है ।

राणी सती (दादी राणी)

  • राणी सती का वास्तविक नाम नारायणी बाई था ।
  • राणी सती के पति तनधन दास हिसार के नवाब के सैनिकों ने तनधन दास की धोखे से हत्या कर दी इसलिए राणी सती ने उग्र चण्डिका का रूप धारण किया और शत्रुओं को मार दिया ।
  • राणी सती का मन्दिर झुन्झूनूं में है ।
  • यह विश्व का सबसे बड़ा सती मन्दिर है ।
  • राणी सती अग्रवालों की कुल देवी है ।
  • राणी सती का मेला भाद्रपद अमावस्या को लगता है ।
  • 1987 में दिवराला (सीकर) में रूपकंवर (पति मालसिंह) के सती होने पर रोक लगा दी गई । बाद में जन भावना को देखते हुए फिर से शुरू किया गया ।

आमजा माता

  • आमजा माता का मंदिर केलवाड़ा (उदयपुर) में है ।
  • भीलों की कुलदेवी आमजा माता है ।
  • आमजा माता के पुजारी भील व ब्राह्मण है ।

तनोट माता

  • तनोट माता का मन्दिर जैसलमेर में है ।
  • थार की वैष्णो देवी तनोट माता को कहते हैं ।
  • तनोट माता को सैनिकों (B.S.F) देवी भी कहते है ।
  • तनोट माता को रूमाल वाली देवी कहते है ।
  • तनोट माता जैसलमेर के भाटी शासकों की आराध्य देवी है ।
  • 1965 के भारत – पाक युद्ध में पाकिस्तान द्वारा फेंके गये बम तनोट माता के परिक्षेत्र में गिरे । वह बम स्वतः ही निष्क्रिय हो गये ।

आवड़ माता

  • आवड़ माता का एक रूप स्वांगिया माता है ।
  • आवड़ माता का मन्दिर जैसलमेर में है ।
  • आवड़ माता को 52 नामों से भी जाना जाता है ।
  • आवड़ माता भाटी शासकों की कुलदेवी है ।
  • कहावत – आवड़ माता ने क्रोध में हाकड़ा नदी को एक चलु में पी लिया, इस कारण रेगिस्तान बना ।

अर्बुदा माता

  • अर्बुदा माता को राजस्थान की वैष्णो देवी कहते है ।
  • राजस्थान का सर्वाधिक ऊँचाई पर बना हुआ अर्बुदा माता का मन्दिर है ।

सुगाली माता

  • सुगाली माता को 1857 की क्रांति की देवी कहते है ।
  • सुगाली माता आउवा (पाली) के शासक कुशालसिंह चाम्पावत की कुलदेवी है ।
  • सुगाली माता के 10 सिर व 54 हाथों वाली कुल देवी है ।
  • 1857 की में अंग्रेज सुगाली माता की मूर्ती को उठाकर अजमेर ले गये ।
  • वर्तमान में सुगाली माता की मूर्ती पाली संग्राहलय में रखी है ।

हिंगलाज माता

  • हिंगलाज माता का मन्दिर लोद्रवा (जैसलमेर) में है ।
  • हिंगलाज माता की पूजा अकबर ने की थी ।

बडली माता

  • बडली माता का मन्दिर छीपों का अकोला (चितौडगढ) में है ।
  • अकोला में दो तिबारिया बनी हुई है, जिनसे बीमार बच्चें को निकालने पर ठीक हो जाता है ।

आवरी माता

  • आवरी माता निकुम्भ (चित्तौड़गढ़) है ।
  • आवरी माता लकवे का इलाज करती है ।

भदाणा माता

  • भदाणा माता का मन्दिर कोटा में है ।
  • भदाणा माता कोटा के शासकों की कुलदेवी है ।
  • मुठ से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करती है ।

राजेश्वरी माता

  • राजेश्वरी माता का मन्दिर भरतपुर में है ।
  • भरतपुर के जाट शासकों की कुलदेवी है ।

सुन्धा माता

  • सुन्धा माता का मन्दिर जालौर में है ।
  • सुन्धा माता के मन्दिर के पास ‘राजस्थान का प्रथम रोप वे’ बना हुआ है, जिसे ‘उड़न खट्टोला’ भी कहते हैं ।

अम्बिका माता

  • अम्बिका माता का मन्दिर जगत (उदयपुर) में है ।
  • अम्बिका माता मन्दिर को शक्ति पीठ भी कहते है ।
  • अम्बिका माता के मन्दिर को मेवाड़ का खजुराहो कहते है ।
    • राजस्थान का खजुराहो किराडु बाड़मेर में है ।
    • राजस्थान का मिनी खजुराहो भण्डदेवरा (बारां) में है ।
    • खजुराहो के जैन मन्दिर मध्यप्रदेश में है, जिनका निर्माण चन्दल शासकों ने करवाया ।

ईडाणा माता

  • ईडाणा माता अक्सर अग्नि का स्नान करने वाली देवी है ।

नागणेची माता

  • नागणेची माता का मन्दिर जोधपुर, बीकानेर व बाड़मेर में है ।
  • नागणेची माता जोधपुर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी है ।
  • नागणेची माता 18 भुजाओं वाली देवी है ।

हमारे Education whatsapp Group में join होने के लिए इस लिंक https://chat.whatsapp.com/Kfho4Zfha4SFFL86dsRIjL पर क्लिक करे ।

त्रिपुरा सुन्दरी माता

  • त्रिपुरा सुन्दरी माता तलवाड़ा (बांसवाडा) में है ।
  • त्रिपुरा सुन्दरी माता को तरताई व तुरताई माता भी कहते है ।
  • त्रिपुरा सुन्दरी माता पांचाल जाति की कुलदेवी है ।
  • त्रिपुरा सुन्दरी माता राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की देवी है ।
  • त्रिपुरा सुन्दरी माता 18 भुजाओं वाली देवी है ।

चामुण्डा माता

  • चामुण्डा माता का मन्दिर मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर) में है ।
  • जोधपुर के राठौड़ शासको की आराध्य देवी चामुण्डा माता है ।
  • गुर्जर प्रतिहारों की कुल देवी चामुण्डा माता है ।
  • चामुण्डा माता के मन्दिर में 2008 में हुए हादसा की जाँच जसराज चौपड़ा आयोग ने की थी ।

कुशाल माता

  • कुशाल माता का मन्दिर बदनोर (भीलवाड़ा) में बना हुआ है ।
  • कुशाल माता कुम्भा ने मालवा विजय के उपलक्ष में निर्माण करवाया था ।
  • कुम्भा ने मालवा विजय के उपलक्ष में विजय स्तम्भ (चित्तौड़गढ़) को निर्माण करवाया था ।

चौथ माता

  • चौथ माता का मन्दिर चौथ का बरवाड़ा (सवाईमाधोपुर) में है ।
  • कंजर जनजाति की आराध्य देवी चौथ माता है ।

आशापुरा माता

  • आशापुरा माता का मन्दिर पोकरण (जैसलमेर) में है ।
  • बिस्सा जाति की कुल देवी आशापुरा माता है ।

आशापुरी माता

  • आशापुरी माता का मन्दिर जालौर में है ।
  • जालौर के सोनगरा चौहानों की कुलदेवी आशापुरी माता है ।

पथवारी माता

  • पथवारी माता पथिको तथा तीर्थ यात्रियों की देवी है ।
  • पथवारी माता का मन्दिर गाँव के बहार मुख्य मार्ग पर बना होता है ।

छींक माता

  • छींक माता का मन्दिर जयपुर में है ।

नकटी माता

  • नकटी माता का मन्दिर जयपुर में है ।

दधिमति माता

  • दधिमति माता का मन्दिर गांगलोद (नागौर) में है ।
  • दधिध ब्राह्मणों की कुलदेवी दधिमति माता है । 

घेवर माता

  • घेवर माता एकमात्र देवी है, जो बिना पति के सती हुई ।

जिलाणी माता

  • जिलाणी माता का मन्दिर अलवर में है ।
  • जिलाणी माता धर्मोन्तर रोकने वाली देवी है ।

सुराणा माता

  • सुराणा माता का मन्दिर नागौर में बना हुआ है ।
  • सुराणो व दुग्गड़ो की कुलदेवी सुराणा माता है ।
  • सुराणा माता पति की मृत्यु पर जीवित धरती में समा गई थी ।

वीरातारा माता

  • वीरातारा माता का मन्दिर बाड़मेर में है ।
  • वीरातारा माता भोपो की कुलदेवी है ।

rajasthan ki devi (राजस्थान की प्रमुख लोक देेवियाँ)

Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *