Best राजस्थान के लोक नृत्य (Rajasthan ke Lok Nritya) :- पिछले अध्याय में राजस्थान के त्यौहार Rajasthan ke Tyohar के बारे में जानकारी प्राप्त की थी । आज हम नृत्य (dance) के बार में जानकारी लेंगे । भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक लोकनृत्य प्रचलित हैं। लोगों को नाचना, गाना, बजाना और देखना अच्छा लगता है । राजस्थानी लोगों को भी यह अच्छा लगता है । किसी किसी जाति का तो यह पैशा है । नृत्य त्यौहार एवं खुशी के अवसर पर ही नृत्य किया जाता है । इस प्रकार राजस्थान में किसी स्थान पर प्रमुख रूप से प्रसिद्ध हुए नृत्य को लोक नृत्य कहा गया है ।
कालबेलिया जनजाति के नृत्य
• कालबेलिया जनजाति प्रसिद्ध नृत्यांगना गुलाबी बाई थी ।
• गुलाबो बाई का मूल स्थान अजमेर में है ।
• गुलाबी बाई फ्रांस को अपना दूसरा घर मानती है ।
• कालबेलिया समाज की प्रथम अध्यक्ष गुलाबो बाई थी ।
• कालबेलिया जनजाति के नृत्य बागड़िया, पणिहारी, शंकरिया और इण्डोली ।
• महिलाएँ भीख माँगते समय बागड़िया नृत्य करती है ।
• शंकरिया नृत्य भगवान शिव व पार्वती की प्रेम गाथा पर आधारित है ।
• महिला पुरुष शंकरिया नृत्य मृत्यु को करते हैं ।
• इण्डोली नृत्य एक युगल नृत्य है ।
• पणिहारी नृत्य पानी भरते समय करते हैं ।
• पणिहारी नृत्य भी एक युगल नृत्य है ।
भील जनजाति के नृत्य
भील जनजाति के नृत्य गैर नृत्य, युद्ध, गवरी, नेजा, हाथीमना, घुमरा (घुमर) और द्विचक्री है ।
गैर नृत्य
• गैर नृत्य केवल भील पुरूषों के द्वारा किया जाता है ।
• गैर नृत्य होली के अवसर पर किया जाता है ।
• गैर नृत्य कनाणा (बाड़मेर) का प्रसिद्ध है ।
• तलवारों की गैर नृत्य मेवाड़ का प्रसिद्ध है ।
युद्ध नृत्य (war dance)
• भील हाथ में हथियार लेकर युद्ध नृत्य किया जाता है ।
• भीलो द्वारा शौर्य का प्रदर्शन युद्ध नृत्य में किया जाता है ।
गवरी नृत्य
• गवरी नृत्य को ‘राई नृत्य’ भी कहते हैं ।
• गवरी नृत्य राखी के दूसरे दिन से प्रारम्भ होता है ।
• गवरी नृत्य भीलों का नृत्य है ।
• गवरी नृत्य शिव व भस्मासुर की कथा पर आधारित है ।
• सामुहिक रूप से किये जाने वाले गवरी नृत्य को ‘गबरी की घाई’ या ‘गम्मत’ कहते है ।
• गाँवों में प्रत्येक तीसरे वर्ष ‘गवरी व्रत’ किया जाता है ।
• भील महिला व पुरुष दोनों गवरी नृत्य को करते हैं ।
• गवरी नृत्य में भगवान शिव को ‘पुरिया’ कहते है ।
नेजा नृत्य
• होली के तीसरे दिन भीलों द्वारा नेजा नृत्य किया जाता है ।
• नेजा नृत्य भील नव विवाहित महिला व पुरुष करते है ।
• राजस्थान का एकमात्र खेल नृत्य नेजा नृत्य है ।
हाथीमना नृत्य
• हाथीमना नृत्य विवाह के अवसर पर भीलों के द्वारा किया जाता है ।
• हाथीमना नृत्य घुटनों के बल बैठकर हाथ में तलवार लेकर पुरुषों द्वारा किया जाता है ।
घूमर नृत्य / घुमरा नृत्य

• घुमर नृत्य / घुमरा नृत्य भील महिलाओं द्वारा किया जाता है ।
द्विचक्री नृत्य
• द्विचक्री नृत्य भील विवाह के अवसर पर किया जाता है ।
• महिला व पुरुष करते हैं ।
गरासिया जनजाति के नृत्य
• गरासिया जनजाति के नृत्य गौर, वालर, गरबा, मोरिया, जवारा, कुद, मांदल और लुर नृत्य है ।
गौर नृत्य
• गौर नृत्य गणगौर के अवसर पर गरासिया महिला-पुरूषों के द्वारा किया जाता है ।
वालर नृत्य
• वालर नृत्य गणगौर के अवसर पर गरासिया जनजाति के द्वारा किया जाता है ।
• वालर नृत्य अर्द्धवृताकार पथ में किया जाता है ।
• वालर नृत्य में वाद्ययंत्र का प्रयोग नहीं किया जाता है ।
• वालर नृत्य एकमात्र नृत्य है, जिस पर डाक टिकट जारी की गई ।
• वालर नृत्य मन्द गति से किया जाता है ।
गरबा नृत्य
• गरबा नृत्य मुख्य रूप से गुजरात में नवरात्रों के अवसर पर किया जाता है ।
• गरबा नृत्य राजस्थान में उदयपुर, डुंगरपुर, व सिरोही में केवल गरासिया महिलाओं के द्वारा किया जाता है ।
मोरिया नृत्य
• मोरिया नृत्य विवाह के अवसर पर गरासिया पुरूषों के द्वारा किया जाता है ।
जवारा नृत्य
• गरासिया महिला-पुरूषों के द्वारा होली के अवसर पर जवारा नृत्य किया जाता है ।
कूद नृत्य
• गरासिया महिला-पुरूषों के द्वारा होली के अवसर पर कूद नृत्य किया जाता है ।
• कूद नृत्य में किसी भी प्रकार का वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं किया जाता है ।
मांदल नृत्य
• होली के अवसर पर गरासियो महिलाओं के द्वारा वृत्ताकार पथ में मांदल नृत्य किया जाता है ।
• गुजरात के गरबा नृत्य का प्रभाव मांदल नृत्य पर पड़ा ।
लुर नृत्य
• लुर नृत्य विवाह व मेलों के अवसर पर गरासिया महिलाओं के द्वारा किया जाता है ।
रायण नृत्य
• रायण नृत्य गरासिया पुरूषों के द्वारा किया जाता है ।
मीणा जनजाति के नृत्य
• मीणा जनजाति के लोग रसिया नृत्य और नेजा नृत्य करते है ।
बंणजारों के नृत्य
• बंणजारों के नृत्य नेजा और मछली नृत्य है ।
• मछली नृत्य चांदनी पूर्णिमा को किया जाता है ।
• मछली नृत्य एकमात्र नृत्य जो हर्षोंल्लास के साथ प्रारम्भ होता है और दुःख के साथ समाप्त होता है ।
• मछली नृत्य बाड़मेर का प्रसिद्ध है ।
मेव जाति के नृत्य
• मेव जाति के नृत्य रणबाज नृत्य और रतवई नृत्य है ।
• रणबाज नृत्य और रतवई नृत्य अलवर का प्रसिद्ध है ।
कंजर जाति के नृत्य
• कंजर जाति के नृत्य धाकड़ नृत्य और नृत्य है ।
धाकड़ नृत्य
• धाकड़ नृत्य झालापाव की विजय की खुशी में किया जाता है ।
• धाकड़ नृत्य हाथ में तलवार लेकर किया जाता है ।
चकरी नृत्य
• चकरी नृत्य को फुंदी नृत्य भी कहते है ।
• कजली तीज के अवसर पर चकरी नृत्य बूँदी में किया जाता है ।
• कंजर जाति की लड़कियों चकरी नृत्य को करती है ।
गुर्जरों के नृत्य
• गुर्जरों के नृत्य चरी नृत्य किया जाता है ।
• चरी नृत्य किशनगढ़, अजमेर का प्रसिद्ध है ।
• चरी नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना ‘फलकु बाई’ थी ।
• महिला व पुरुष दोनो द्वारा चरी नृत्य किया जाता है ।
सहरिया जनजाति के नृत्य
• सहरिया जनजाति के नृत्य शिकारी, लहंगी, इन्द्रपरी, झेला नृत्य है ।
राजस्थान सरकार ने नृत्य को जीवित रखने के लिए “राजस्थान सरकार कला एवं संस्कृति पोर्टल” बनाया है । (Rajasthan Government has created “Rajasthan Government Art and Culture Portal” to keep the dance alive.)
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