22 राजस्थान के प्रमुख संत

राजस्थान के प्रमुख संत :- पिछली बार हमने राजस्थान की प्रमुख घास के बारें पढ़ा था । आज हम राजस्थान के प्रमुख संत के बारें पढ़ेंगे । राजस्थान में अनेक संत हुए । जिनमें से संत रज्जब जी, दादू दयाल जी, संत पीपाजी, धन्नाजी आदि ।

22 राजस्थान के प्रमुख संत

रज्जब जी

• रज्जब जी के गुरू दादू दयाल जी थे ।
• रज्जब जी की प्रमुख पीठ सांगानेर, जयपुर में है ।
• रज्जब जी एकमात्र ऐसे संत थे, जिन्होंने आजीवन दूल्हे के वेश में रहे ।
• रज्जब जी ने दादू दयाल की मृत्यु के पश्चात् अपनी आँखे बंद कर ली और आजीवन बंद ही रखी ।
• रज्जब जी के प्रमुख ग्रंथ रज्जब वाणी और सर्वंगी है ।

संत दादू दयाल जी

• दादू दयाल जी का बचपन का नाम महाबली था ।
• दादू दयाल को राजस्थान का कबीर भी कहते है ।
• दादू दयाल जी का जन्म अहमदाबाद गुजरात में हुआ ।
• दादू दयाल जी लोदीराम जी को साबरमती नदी में बहते हुये मिलें ।
• दादू दयाल जी के गुरु वृंदानन्द थे ।
• दादू दयाल ने 1585 में फतेहपुर सीकरी (उतर प्रदेश) में अकबर से भेंट की ।
• दादू दयाल जी की मृत्यु नरैना/ नारायणा (जयपुर), में हुई ।
• दादू दयाल की गुफा मुख्य पीठ, समाधि नरैना/ नारायणा (जयपुर) में है ।
• दादू दयाल जी ने सांभर में ब्रह्मसम्प्रदाय की स्थापना की ।
• राजस्थान में भक्ति आन्दोलन को फैलाने का श्रेय दादू दयाल को दिया जाता है ।
• दादू दयाल जी के उपदेश दादू री वाणी और दादूजी रा दोहा में संकलित है ।
• दादू दयाल जी की भाषा ढूंढाड़ी और सधुकड़ी थी ।
• दादू दयाल के सत्संग को अलख दरीबा कहते है ।
• दादू दयाल क प्रमुख 52 शिष्य 52 स्तंभ कहलाते है ।
• दादू दयाल ने दादू पंथी सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• दादू पंथी लोग शवों को न जलाते और न ही दफनाते है बल्कि जानवरों के खाने के लिए छोड़ देते है ।
• दादू पंथी लोग सिर पर चोटी नहीं रखते, तिलक नहीं लगाते तथा गले में माला नहीं पहनते और मंदिर में जाकर पूजा नहीं करते है ।
• दादू पंथी संप्रदाय की पाँच शाखाएँ है –

  1. नागा शाखा – नागा शाखा के प्रवर्तक सुन्दरदास जी थे । ये संत कवियों में एकमात्र सुशिक्षित थे ।
  2. खालसा शाखा – खालसा शाखा के प्रवर्तक गरीब दास थे ।
  3. उत्तरादे शाखा – उत्तरादे शाखा के प्रवर्तक बनवारी दास थे ।
  4. विरक्ते शाखा
  5. खाकी शाखा

संत पीपा

• संत पीपा के बचपन का नाम प्रताप सिंह था ।
• संत पीपा का जन्म गागरोन दुर्ग (झालावाड़) में हुआ ।
• संत पीपा जी ने दिल्ली के शासक फिरोजशाह तुगलक को पराजित किया ।
• संत पीपा जी के गुरू रामानन्द थे ।
• संत पीपा जी दर्जी सम्प्रदाय के आराध्य देव है अर्थात् संत पीपा जी दर्जी सम्प्रदाय के संस्थापक है ।
• संत पीपा जी चिंतावनी जोग नामक ग्रंथ लिखा ।
• संत पीपा जी एकमात्र रानी जो पीपाजी के साथ संत बनी सोलखड़ी थी ।
• संत पीपा जी की मृत्यु टोडारायसिंह (टोंक) में हुई थी ।
• संत पीपा जी की छतरी गाणरोन (झालावाड़) में है ।
• सत पीपा जी ने सर्वप्रथम राजस्थान में भक्ति अलख जगाई ।
• संत पीपा जी मोक्ष प्राप्ति के लिए साधना भक्ति को बताई और इसके लिए गुरू की आवश्यकता बताई ।

संत धन्ना जी

• संत धन्ना जी का जन्म घुवन गाँव (टोंक) में हुआ ।
• संत धन्ना जी के गुरु रामानन्द थे ।
• राजस्थान में भक्ति आन्दोलन को प्रारम्भ करने का श्रेय संत धन्ना जी को दिया जाता है ।
• धन्ना जी राजस्थान छोड़कर बनारस चले गये ।

जसनाथ जी

• जसनाथ जी का जन्म कतरियासर (बीकानेर) में हुआ ।
• जसनाथ जी के गुरु गोरखनाथ थे ।
• जसनाथ जी की समाधी एवं मुख्य पीठ कतरियासर (बीकानेर) में है ।
• सिकंदर लोदी ने जसनाथ जी को कतरियासर (बीकानेर) में भूमि प्रदान की ।
• सिकंदर लोदी ने जसनाथ जी के कहने पर गौ हत्या पर रोक लगायी ।
• जसनाथ जी ने जसनाथी सम्प्रदाय की कतरियासर (बीकानेर) में स्थापना की ।
• जसनाथी सम्प्रदाय के प्रमुख अनुयायी जाट होते है ।
• जसनाथी सम्प्रदाय के लोग अग्नि (फायर) नृत्य करते है ।
• इस सम्प्रदाय के लोग गले में काला धागा रखते है ।
• इस सम्प्रदाय के लोग 36 नियमों का पालन करते है ।
• इस सम्प्रदाय के लोग मोर पंख और जाल वृक्ष को पवित्र मानते है ।
• इस सम्प्रदाय के सर्वाधिक लोग बीकानेर में निवास करते हैं ।
• जसनाथ जी पर्यावरणविद्ध के रूप में पूजे जाते है ।
• जसनाथ जी के उपदेश सिबूदडा, कोर्डा, जलमझुलरों और सिद्ध जी रो सिर लोकों में संकलित है ।
• ये ऐसे संत है जिन्होंने 24 वर्ष की अवस्था में जीवित समाधि ली, राजस्थान के सबसे कम उम्र के संत जिन्होने जीवित समाधि ली ।

संत दास जी

• संत दास जी की मुख्य पीठ दांतडा (भीलवाडा) में है ।
• संत दास जी ने गुदडा सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• संत दास जी एकमात्र संत थे, जो गुदड़े से बने हुए कपड़े पहनता था ।

जाम्भो जी

• जाम्भो जी का वास्तविक नाम धनराज है ।
• जाम्भो जी को गांगु गहला संत भी कहते है ।
• जाम्भो जी को पर्यावरणवैज्ञानिक कहा जाता है ।
• मलेर कोटड़ा (पंजाब) के मुसलमान जाम्भो जी को सच्चा पीर मानकर पूजते है ।
• जाम्भो जी की माता इसे कृष्ण का अवतार मानकर पूजती थी ।
• जाम्भो जी का जन्म पीपासर (नागौर) में हुआ था ।
• जाम्भोजी ने सम्भराथल (बीकानेर) में विश्वोई सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• विश्नोई संप्रदाय के लोग 29 नियमों को पालन करते है ।
• विश्नोई सम्प्रदाय के सर्वाधिक लोग भारवास (जोधपुर) में निवास करते है ।
• विश्नोई सम्प्रदाय के लोग भेड़-बकरी पालन नहीं करते है ।
• विश्नोई सम्प्रदाय के लोग वन एवं वन्य जीवों के रक्षक के रूप में जाने जाते है ।
• विश्व के प्रथम पर्यावरण आन्दोलन के प्रेणता जाम्भोजी थे ।
• जाम्भो जी ने भारत से बाहर खुरासन व लंका में जाकर यज्ञ और हवन करवाये ।
• जाम्भो जी के प्रमुख ग्रंथ जम्भ संहिता, जम्भ गीता, जम्भ सागर, 120 शब्द वाणी है ।
• विश्नोई सरप्रदाय के लोग जम्भ गीता को पाँचवाँ वेद मानते हैं ।
• जाम्भो जी की भाषा ठेठ (मरूभाषा) है ।

संत हरिदास जी

• संत हरिदास जी का जन्म गाढ़ा (डिडवाना- नागौर) में हुआ ।
• संत हरिदास जी की मुख्य पीठ (डिडवाना- नागौर) में है ।
• संत हरिदास जी का वास्तविक नाम हरिसिंह सांखला था ।
• संत हरिदास जी पहले एक डाकू थे बाद में संत बने ।
• संत हरिदास जी ने निरंजनी सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• संत हरिदास जी को कलयुग का वाल्मीकि कहते है ।
• संत हरिदास जी का उपदेश मंत्रराज प्रकाश में संकलित है ।

संत चरणदास जी

• संत चरणदास जी का जन्म डेहरा (अलवर) हुआ ।
• संत चरणदास जी का वास्तविक नाम रणजीत था ।
• संत चरणदास जी के गुरू मुनि सुखदेव थे ।
• संत चरणदास जी पीले वस्त्र पहनते थे ।
• संत चरणदास जी की मुख्य पीठ दिल्ली में है ।
• चरण दास ने चरणदासी सम्प्रदाय की स्थापाना की ।
• चरणदासी सम्प्रदाय के लोग 42 नियमों का पालन करते है ।
• संत चरणदास जी के प्रमुख ग्रंथ ब्रह्म ज्ञान सागर है ।
• चरण दास ने नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी बहुत पहले ही कर दी थी ।
• चरण दास जी ने जयपुर के शासक सवाई जयसिंह को नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी कर दी थी ।

  1. यह युद्ध करनाल 1739 हरियाणा में हुआ ।
  2. यह युद्ध नादिरशाह और मोहम्मद शाह के मध्य हुआ था ।
  3. नादिरशाह इस युद्ध के पश्चात् भारत से कोहिनूर हीरा लेकर चला गया ।
    • संत चरणदास जी की शिष्या सहजो बाई और दया बाई थी ।
  4. सहजोबाई की मुख्य पीठ दिल्ली है ।
  5. सहजोबाई राजस्थान की प्रथम महिला संत थी ।
  6. दयाबाई की मुख्य पीठ कानपुर (उत्तर प्रदेश) में है ।

मीराबाई

राजस्थान-के-प्रमुख-संत-rajasthan-ke-pramukh-sant-meera-bai

• मीराबाई का वास्तविक नाम पेमल था ।
• मीराबाई के पिता रतन सिंह और माता वीर कंवरी थी ।
• मीराबाई के पति भोजराज थे ।
• मीराबाई का जन्म कुड़की गाँव (पाली) में 1498 में हुआ ।
• मीराबाई का लालन पालन मेड़ता सिटी (नागौर) में हुआ ।
• मीराबाई को राजस्थान की राधा कहते है ।
• मीराबाई के पद हरजस कहलाते है ।
• मीराबाई की भक्ति माधुर्य भाव की भी ।
• मीराबाई गुजरात के द्वारिका में रणछोड़ जी की मूर्ति में विलीन हो गयी थी ।
• मीराबाई की तुलना सुफी महिला सन्त रबिया से की जाती है ।
• मीराबाई के कहने पर रतना खाती ने नरसी जी रो मायरों लिखा ।
• नरसी जी रो मायरों ब्रजभाषा में लिखा है ।
• मीराबाई की रचनाएँ टीका राग गोविन्द, रूकमणी मंगल और नरसी मेहता री हुण्डी है ।

गवरीबाई

• गवरीबाई को वागड़ की मीरा बाई कहते है ।
• गवरीबाई के कार्य क्षेत्र डूँगरपुर, बाँसवाड़ा है ।

संत मावजी

• संत मावजी का जन्म साबला ग्राम (डूँगरपुर) में हुआ ।
• संत मावजी ने निष्कलंक सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• संत मावजी ने लसोडिया आन्दोलन चलाया ।
• संत मावजी ने डूँगरपुर में बेणेश्वर धाम की स्थापना की ।
• संत मावजी की भाषा बागड़ी कहलाती है ।
• संत मावजी की वाणी चौपड़ा कहलाती है ।

संत लाल दास जी

• संत लाल दास जी का जन्म धोली दूव गाँव (अलवर) में हुआ ।
• संत लाल दास जी की मृत्यु नांगली जहाज (भरतपुर) में हुई ।
• संत लाल दास जी की समाधि स्थल शेरपुर (अलवर) में है ।
• इन तीनों स्थानों (शेरपुर, दूव गाँव और नांगली जहाज) पर संत लालदास जी की पीठ है ।
• संत लालदास जी के प्रमुख ग्रंथ “बानी” है ।
• संत लाल दास जी ने “लालदासी” सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• लालदासी सम्प्रदाय के साधु पुरूषार्थी होते है और स्वयं कमाकर खाते हैं ।
• लालदासी सम्प्रदाय में साधु बनने से पहले व्यक्ति का मुँह काला करके उल्टा गधे पर बैठा कर सवारी निकाली जाती है ।
• संत लाल दास जी मेव जाति के लकड़हारे थे ।

संत रामचरण जी

• संत रामचरण जी का वास्तविक नाम रामकिशन था ।
• संत रामचरण जी के गुरु कृपा राम जी थे ।
• संत रामचरण जी का जन्म सोडाग्राम (टोंक) में हुआ ।
• रामचरण जी संत बनने से पहले पटवारी थे ।
• संत रामचरण जी ने “अर्णभवाणी” ग्रंथ लिखा ।
• संत रामचरण जी ने “रामस्नेही” सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• रामस्नेही सम्प्रदाय की मुख्य पीठ शाहपुरा (भीलवाड़ा) में है ।
• रामस्नेही सम्प्रदाय के लोग “फूलडोल” महोत्सव मनाते है । जिस स्थान पर ये पूजा करते हैं वो स्थान रामद्वारा कहलाता है ।
• रामस्नेही सम्प्रदाय के गुरू का चित्र सामने रखकर पूजा करते है ।
• रामस्नेही सम्प्रदाय की चार पीठ है । 1. शाहपुरा (भीलवाड़ा) 2. रेण शाखा (नागौर) 3. सिंहथल (बीकानेर) 4. खेड़ाप (जोधपुर) ।
• शाहपुरा (भीलवाड़ा) रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक रामचरण है ।
• रेण शाखा (नागौर) रामस्नेही सम्प्रदाय के संत दरियावजी है ।
• संत दरियावजी ने राम शब्द में रा का अर्थ राम तथा म का अर्थ मोहम्मद बताया गया है ।
• सिंहथल (बीकानेर) रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक हरिराम दास जी थे ।
• सिंहथल (बीकानेर) रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रमुख ग्रंथ निसानी । इसमें गुरू को पारस पत्थर से भी उच्च स्थान दिया है ।
• खेड़ाप (जोधपुर)रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक रामदास जी थे ।

रेदास जी

• रेदास जी काशी के निवासी थे ।
• रेदास जी ने कुछ समय राजस्थान में गुजरा ।
• रेदास जी के गुरू रामानन्द जी थे ।
• संत रैदास जी के विचारों को गुरु ग्रंथ साहिब में स्थान दिया गया ।
• रेदास जी को मीरा बाई ने अपना गुरु माना ।
• रेदास जी कबीर को समकालिन थे ।

लाल गिरी

• लाल गिरी “अलख सम्प्रदाय” की स्थापना की ।
• अलख सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ बीकानेर में है ।

नवल दास जी

• नवल दास ने नवन सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• नवल दास की प्रमुख पीठ जोधपुर में है ।

प्राण नाथ जी

• प्राण नाथ जी परनामी सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• प्राण नाथ जी की मुख्य पीठ पन्ना (MP) में है ।
• राजस्थान में परनामी सम्प्रदाय की पीठ आदर्श नगर जयपुर में है ।

संत खेताराम जी

• संत खेताराम जी ने आसोतोरा (बाड़मेर) में मंदिर का निर्माण करवाया ।
• संत खेताराम जी एकमात्र ब्रह्ममंदिर है, जिसमे ब्रह्मा जी के साथ सावित्री भी है ।

आचार्य भिक्षु स्वामी

• आचार्य भिक्षु स्वामी ने तेरहपंथी सम्प्रदाय की स्थापना की ।
• आचार्य भिक्षु स्वामी जैन समाज से सम्बंधित है ।

भक्त कवि दुर्लभ जी

• भक्त कवि दुर्लभ जी को “राजस्थान का नृसिंह” कहते है ।
• भक्त कवि दुर्लभ जी का कार्य क्षेत्र डूँगरपुर और बाँसवाड़ा में है ।

भूरी बाई

• भूरी बाई का सम्बन्ध उदयपुर से है ।

समान बाई

• समान बाई का सम्बन्ध अलवर से है ।
• समान बाई ने आजीवन अपनी आँखों पर पट्टी बाँधे रखी ।

और पढ़े

Spread the love

1 thought on “22 राजस्थान के प्रमुख संत”

  1. Pingback: 23 राजस्थान में सम्प्रदाय - Be Notesi

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *