18.5 Siwana Durg Badmer

सिवाणा दुर्ग (Siwana Durg Badmer)

• सिवाणा दुर्ग बाड़मेर में है ।
• यह गिरी दुर्ग है ।
• यह हल्देश्वर नामक पहाड़ी पर है ।
• हल्देश्वर नामक पहाड़ी छप्पन की पहाड़ियाँ पर है ।
• इसका निर्माण वीर नारायण पंवार ने करवाया ।
• सिवाणा दुर्ग (Sivana Durg) प्रारम्भिक नाम कुम्भा थाना ।
• इसको ‘जालौर दुर्गों की कुंजी’ कहते है ।
• गिरी सुमेल के युद्ध के पश्चात् मालदेव ने इस दुर्ग में शरण ली थी ।
• इस दुर्ग में संकटकाल में मारवाड़ के शासकों की शरणास्थती कहते है ।
• जयनारायण व्यास को इस दुर्ग में कैद करके रखा गया था ।
• इसमें दो साके हुए

  1. प्रथम साका 1308 में शीतलदेव शासककाल में अलाउदीन खिलजी के आक्रमण के पश्चात् मैणा दे ने जौहर करके पूरा किया ।
  2. अलाऊदीन खिलजी ने सिवाणा दुर्ग का नाम बदलकर खैराबाद रखा ।
  3. दुसरा साका कल्याणमल राठौड़ के शासककाल में अकबर की तरफ से मोटा राजा उदयसिंह ने आक्रमण के पश्चात् हुआ ।

सुवर्ण गिरी दुर्ग (Suvarn Giri Durg)

• सुवर्ण गिरी दुर्ग जालौर में है ।
• इसका निर्माण नागभट्ट प्रथम (दशरथ शर्मा के अनुसार) है ।
• यह एक गिरी दुर्ग है ।
• इसको कंचन गिरी, सोन गिरी, जाबालिपुर, जलालाबाद, जालंधर दुर्ग कहते है ।
• इस के बारे में हसन निजामी ने कहा है कि इस दुर्ग का दरवाजा कोई भी आक्रमणकारी नहीं खोल सका ।
• इसके बारे में कहावत – “राई से भाव रातां में बीत्यों ।”
• इस दुर्ग में मलिकशाह की दरगाह स्थित है ।
• प्रथम जौहर हुआ, जो 1311-12 ई॰वी॰ सुवर्ण गिरी दुर्ग के शासक कान्हड़देव के समय अलाउदीन खिलजी के आक्रमण के कारण रानी जैतलदे के जौहर के साथ हुआ ।

लोहागढ़ दुर्ग (Lohagarh Durg)

• लोहागढ़ दुर्ग भरतपुर में है ।
• इसका निर्माण 1733 में सुरजमल जाट ने करवाया था ।
• इसको अजयगढ़, मिट्टी का किला, अभेध दुर्ग, पूर्वी सीमान्त प्रहरी भी कहते है ।
• इसको मैदानी दुर्गों में विश्व का सर्वश्रेष्ठ दुर्ग माना गया है ।
• यह राजस्थान का सबसे नवीन दुर्ग है ।
• लोहागढ़ दुर्ग स्थल की श्रेणी में विश्व का प्रथम दुर्ग है ।
• यह पारिख व मैदानी दुर्ग की श्रेणी में आता है ।
• इस के चारों ओर एक खाई बनी हुई है, जिसमें मोती झील का पानी सुजान गंगा नहर के माध्यम से आता है ।
• इस के अष्ट धातु के किवाड़ लगे है, जिसे जवाहर सिंह ने 1765 में दिल्ली के लाल किले से उतार के लाया था ।
• इसको ना अंग्रेज और ना ही मुगल जीत सके थे ।
• मराठा सरदार होल्कर ने इस दुर्ग में शरण ली थी ।
• अंग्रेज अधिकारी लार्ड लेक ने इस दुर्ग की दीवार की बारूद से उड़ाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा ।
• इस दुर्ग की दीवार की ऊँचाई 100 फीट, चौड़ाई 30 फीट है ।
• लोहागढ़ दुर्ग के बारे में कहावत –

  1. ‘हठ जा गोरा पाछा न लड़े आठ फिरंगी नौ गौरा लड़े जाटा का दो छोरा ।’
  2. इस पंक्ति में दो छोरा माधोसिंह व दुर्जनसिंह है ।

स्वर्ण गिरी दुर्ग (Swarn Giri Durg)

• स्वर्ण गिरी दुर्ग जैसलमेर में है ।
• इस को सोनारगढ़, सोनगढ़ व त्रिकुटगढ़ कहते है ।
• इसका निर्माण भाटी शासक जैसल ने जुलाई 1155 में करवाया ।
• यह धान्व दुर्ग है ।
• सत्यजीत रे फिल्म निर्देशक की इस दुर्ग पर ‘सोनार किला’ नामक फिल्म बनाई ।
• यह दुर्ग त्रिकुटगढ़ नामक पहाड़ी पर बना है ।
• स्वर्ण गिरी दुर्ग तीन प्रकार से दिखाई देती है ।

  1. अंगड़ाई लेते हुए शेर के समान
  2. लंगर डाले हुए जहाज के समान
  3. प्रातकाल व सांयकाल के समय सोने के समान
    • यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा लिविंग पोर्ट है ।
    • यह सर्वाधिक ब्रुजों वाला दुर्ग है ।
    • इस दुर्ग में 99 ब्रुज है ।
    • यह एकमात्र है, जिसमें छत लकड़ी की बनी हुई है ।
    • इस के बारे में अबुल फजल ने कहा है कि “यहाँ जाने के लिए पत्थर की टांगे चाहिए” ।
    • यह पीले पत्थरों से बना हुआ है ।
    • यह एकमात्र दुर्ग है, जिसमें चूने का प्रयोग नहीं किया गया है ।
    • 2009 में भूकम्प आया, जिससे स्वर्ण गिरी दुर्ग को हानि पहुंची ।
    • इसको भारत के सात आश्चर्यजनक स्मारकों में शामिल किया गया है ।
    • इसमें हस्त लिखित दुर्लभ ग्रन्थों का भण्डार है, जिसे जिनभद्र सुरि ग्रंथ भण्डार कहते है ।
    • इसमें एक जैसल नामक कुआँ बना हुआ है ।
    • एक मान्यता के अनुसार जैसल नामक कुएं का निर्माण भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से किया है ।
    • इसमें ढ़ाई साके हुए ।
  4. प्रथम साका 1304 में मुलराज के शासनकाल में अलाउदीन खिलजी के आक्रमण के कारण हुआ ।
  5. दूसरा साका 1316 में लुणकरण के शासनकाल में फिरोजशाह तुगलक के आक्रमण के कारण हुआ ।
  6. तीसरा साका 1550 में लुणकरण के शासनकाल में अमीर अली तुगलक के आक्रमण के कारण हुआ ।
  7. तीसरा साका अर्द्ध साका हुआ था ।
  8. तीसरे साका में कैंसरिया हुआ लेकिन जौहर नहीं हुआ ।

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