राजस्थान का भौतिक प्रदेश Rajasthan ke bhotik pradesh
3. राजस्थान का भौतिक प्रदेश Rajasthan ke bhotik pradesh
- प्राग् एतिहासिक काल में पृथ्वी दो भूखडो में विभक्त हुई । अंगारालैण्ड और गोडवाना लैण्ड ।
- अंगारालैंड व गोडवाना लैंड के मध्य टेथिस सागर स्थित है ।
- टेथिस सागर के अवशेष – खारे पानी की झीले, पूर्वी मैदान और मरूस्थल है ।
- गोडवाना लैंड के अवशेष – अरावली और दक्षिण पूर्वी पठार (हाडौती का पठार) है ।
- टेथिस सागर को पैंथालासा भी कहते है ।
- अंगारालैंड और गोडवाना लैंड के संयुक्त भाग को पंजिया कहते हैं ।
- धरातल और जलवायु के आधार पर राजस्थान के भौतिक प्रदेश को चार भागों में बाँटा गया है । उत्तरी पश्चिमी मरूस्थल, मध्यवर्ती अरावली, पूर्वी मैदान और दक्षिणी पूर्वी पठार ।
मरूस्थल
- मरूस्थल को राजस्थान में थार का मरुस्थल कहते है ।
- मरूस्थल को पाकिस्तान में ‘चोलिस्थान’ कहते है ।
- मरूस्थल को डॉ॰ ईश्वर ने रूक्ष क्षेत्र कहा है ।
- मरूस्थल को हैनसांग ने गुर्जरात्रा प्रदेश कहा है ।
- मरूस्थल विश्व का सबसे बड़ा उपजाऊ मरूस्थल है ।
- मरूस्थल ‘ग्रेट पेलियों आर्कटिक अफ्रिका मरूस्थल का पूर्वी भाग’ है ।
- मरूस्थल भारत के चार राज्यों गुजरात राजस्थान हरियाणा और पंजाब में फैला है ।
- मरूस्थल सर्वाधिक राजस्थान में फैला हुआ है ।
- मरूस्थल राजस्थान के 61.11 % भाग में फैला है ।
- उत्तरी पश्चिमी मरूस्थल राजस्थान के 58 % भाग पर फैला है ।
- राजस्थान की कुल जनसंख्या की 40 % जनसंख्या मरूस्थल में निवास करती है ।
- विश्व में सर्वाधिक जैव विविकता वाला मुरूस्थल है ।
- जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है ।
- मरु जिला बाडमेर है जबकि मरू महोत्सव जैसलमेर में मनाया जाता है ।
- मरूस्थल का प्रवेश द्वार जोधपुर है ।
- मरू त्रिकोण (डेजर्ट ट्राइगल) – जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर है ।
- अरावली राजस्थान को दो भागों में विभक्त करती है । अरावली के पूर्व में 20 जिले जबकि पश्चिम में 13 जिले ही आते है ।
- अरावली के पश्चिम में स्थित 13 जिलों में से 12 जिले मरूस्थल में आते है । केवल ‘सिरोही’ मरूस्थल में नहीं आता है ।
- ‘मरुस्थल’ भारत में ऋतु चक्र को नियंत्रित करता है ।
थार का घड़ा
- ‘चन्दन नलकूप’ को ही धार का घडा कहते हैं ।
- थार का घड़ा जैसलमेर में स्थित है, जो मीठे पानी का नल कूप है ।
- थार का घड़ा का वास्तविक नाम – ‘चौहान’ है ।
लाठी सीरीज
- लाठी सीरीज जैसलमेर में पाकिस्तान की सीमा के सहारे पाई जाती है ।
- लाठी सीरीज 60 मीटर चौड़ी है ।
- लाठी सीरीज एक भुगर्भीय मीठे पानी की जल पट्टी है ।
- लाठी सीरीज क्षेत्र में मामूली वर्षा में ही ‘सेवण घास’ उग जाती है ।
पीवणा सर्प
- मरुस्थल में पाया जाता है ।
- मरुस्थल में राष्ट्रीय मरू उद्यान स्थित है ।
- मरूस्थल का सबसे उपजाऊ जिला ‘गंगानगर’ व सबसे बेकार भूमि वाला जिला ‘जैसलमेर’ है । पूर्णतः वनस्पति रहित स्थान ‘समगाँव’ (जैसलमेर) है ।
- एकमात्र जीवाश्म पार्क आंकल गाँव है, जिसे ‘आकाल वुड फोसिल पार्क’ कहते है ।
- आकाल वुड फोसिल पार्क जैसलमेर में है ।
- अरावली रेगिस्तान को पूर्वी भाग में फलने से रोकती है । रेगिस्तान के आगे बढ़ने को ‘रेगिस्तान मार्च’ कहते है ।
- रेगिस्तान मार्च के लिए जैसलमेर का ‘नाचना गाँव’ प्रसिद्ध है ।
मावठ
- सर्दियों में होने वाली वर्षा को ‘मावठ’ कहते है ।
- मावठ पश्चिमी विक्षोभों और चक्रवातों से होती है ।
- मावठ राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी मरुस्थल में होती है ।
- मावठ रबी की फसल के लिए लाभदायक है ।
- मावठ को ‘गोल्डन ड्राफ्ट’ भी कहते है ।
- राजस्थान के दो स्थान ‘बालोतरा तथा हनुमानगढ़ जंक्शन’ नदी के पेट के नीचे स्थित है ।
- जब लूणी नदी उफान पर होती है तो बालोतरा (बाडमेर) में बाढ़ आती है ।
- जब घग्घर नदी उफान पर होती है तो हनुमानगढ़ जंक्शन पर बाढ़ आती है ।
कुबड पट्टी
- नागौर और अजमेर के मध्य स्थित कुबड पट्टी है ।
- कुबड पट्टी एक खारे पानी की पट्टी है ।
मरूस्थल में वर्षा
- मरूस्थल में वर्षा 20 से 50 से॰मी॰ तक होती है ।
- मरूस्थल को दो भागों में 25 से॰मी॰ वर्षा बाँटती है ।
- राजस्थान को 50 से॰मी॰. वर्षा दो भागों में बाटती है ।
राजस्थान के मरूस्थल का जलवायु
- शुष्क एवं अत्यधिक विषम जलवायु होती है ।
- जैसलमेर में पाई जाने वाली झीलों को खड़ीन कहते है ।
- सर्वाधिक टाट/रन जैसलमेर में पाई जाती है ।
- मरूस्थल में गर्मियों में धूल भरी आंधियाँ चलती है ।
- मरूस्थल में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली हवाओं को ‘लू’ कहते है ।
- बागर – वह मैदान जो पहले उपजाऊ था और बाद में धीरे – धीरे अनुपजाऊ बन गया । बागर कहलाता है ।
- खादर – नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टी से बने उपजाऊ मैदान को खादर कहते हैं ।
- बीड़ – शेखावाटी क्षेत्र में घास के मैदानों को बीड़ व ढूँढड़ क्षेत्र में बीडा कहते हैं ।
- बीहड – नदियों के कटाव से बने ऊबड़ – खाबड़ गड्डों को बीहड़ कहते है । सर्वाधिक ‘सवाई माधोपुर’ में है ।
- जोहड़ – शेखावाटी क्षेत्र में कुओं को स्थानीय भाषा में ‘जोहड़’ कहते हैं ।
- बरखान – अर्धचन्द्राकार गतिशील बालुका स्तुप को ‘बरखान’ कहते है ।
- अनुप्रस्थ बालुका स्तुप – वायु की दिशा के लम्बवत बनने वाले बालुका स्तुप को ‘अनुप्रस्थ का स्तुप’ कहते है ।
- अनुद्धैय बालुका स्तुप – वायु की दिशा के समान्तर बनने वाले बालुका स्तुप को ‘अनुद्धैय बालुका स्तुप’ कहते है ।
- नेबबा – झीड़ी के पीछे बनने वाले क्षेत्र में स्थान्तरित बालुका स्तूप को ‘धरियन’ कहते है ।
- हम्मदा – चट्टानी मरूस्थल को हम्मदा कहते है ।
- रेंग – पथरीले मरूस्थल को रेंग कहते है ।
- ईंग – रेतीले मरूस्थल को ईंग कहते है ।
- धोरा – मरूस्थल में पाये जाने वाले बिखरे हुए बालुका स्तूपों को धोरा कहते है ।
- महान मरूस्थल – गंगानगर से लेकर बाड़मेर तक पाक की सीमा के सहारे लगा मरूस्थल, ‘महान मरूस्थल’ कहलाता है ।
- लघु मरूस्थल – महान मरूस्थल के पूर्व भाग में कच्छ के रण से लेकर बीकानेर तक का भाग, ‘लघु मरूस्थल’ कहलाता है ।
- मरूस्थल का ढ़ाल –
अरावली
- अरावली की उत्पत्ति ‘प्री क्रेबियन काल’ में हुई ।
- अरावली गोड़वांना लेण्ड का अवशेष है ।
- अमेरिका के ‘अपलेशियन पर्वत’ के समान है ।
- अरावली विश्व की सबसे प्राचीन वलित पर्वतमाला है ।
- अरावली की कुल लम्बाई 692 कि॰मी॰ की है ।
- अरावली की राजस्थान से लम्बाई 550 कि॰मी॰ है ।
- अरावली का 80 % भाग राजस्थान में है ।
- अरावली राजस्थान के 9 % भाग पर फैली हुई है ।
- अरावली पर्वतमाला पर राजस्थान की 10 % जनसंख्या निवास करती है ।
- अरावली राजस्थान, गुजरात हरियाण और दिल्ली में स्थित है ।
- अरावली का प्रारम्भिक बिन्दू पालनपुर (गुजरात) है ।
- अरावली का अंतिम बिन्दू रायसीन की पहाडियाँ (दिल्ली) है ।
- रायसीन की पहाडियों पर राष्ट्रपति भवन बना हुआ है ।
- राष्ट्रपति भवन के निर्माण में करौली और धौलपुर के लाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है ।
- अरावली की जड़ अरब सागर में स्थित है ।
- अरब सागर को ‘अरावली का पिता’ कहते है ।
- राजस्थान में अरावली ‘सिरोही से झुन्झुनू’ के मध्य फैली हुई है ।
- अरावली की सर्वाधिक ऊँचाई ‘सिरोही’ में है ।
- अरावली की न्यूनतम ऊँचाई ‘अजमेर’ में है ।
- अरावली का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर में है ।
- अरावली का सबसे कम विस्तार अजमेर में है ।
- अरावली की औसत ऊँचाई 930 मीटर है ।
- अरावली पर औषत वर्षा 50 से॰मी॰ है ।
- अरावली क्षेत्र की जलवायु ‘उपआर्द्र जलवायु’ है ।
- अरावली का विस्तार (ढाल) दक्षिणी-पश्चिमी से उत्तर-पूर्व की ओर है ।
- दक्षिणी पश्चिमी की ओर अरावली का विस्तार ज्यादा है तथा कम विस्तार उत्तर पूर्व की ओर है ।
- अरावली के ढलानों पर मक्का की खेती की जाती है ।
- अरावली में खनिज अधिक मात्रा में पाया जाता है ।
- अरावली पर वृक्षारोपण का कार्य जापान के सहयोग से किया जा रहा है ।
- अरावली जल विभाजन (क्रेस्ट लाइन) का कार्य करती है ।
- अरावली के पूर्व से निकलने काली नदियाँ अपना जल बंगाल की खाड़ी में डालती है ।
- अरावली के पश्चिमी से निकलने वाली नदियाँ अपना जल अरब सागर में डालती है ।
- अरावली बंगाल की खाडी से आने वाले मानसून को रोकर पूर्वी राजस्थान में वर्षा करती है ।
- अरावली अरब सगर के मानसून के समान्तर होने के कारण अरब सागर से आने वाला मानसून बिना बरसे ही सीधा आगे निकल जाता है ।
- फूलवारी की नाल और केबड़ा की नाल उदयपुर में है ।
- हाथी दर्रा उदयपुर से सिरोही जाने का मार्ग प्रदान करता है ।
- जीलवा (पगल्या) की नाल मारवाड़ से मेवाड़ जाने का मार्ग प्रदान करती है ।
- देसूरी की नाल पाली व राजसमन्द के मध्य है ।
- खमरी घाट और गोरमघाट राजसमन्द में है ।
अरावली की चोटियों का क्रम
अरावली की चोटियों का क्रम निम्नलिखित में है । गुरूशिखर चोटी की ऊँचाई 1722 मीटर है । सेर चोटी की ऊँचाई 1597 मीटर है । दिलवाड़ा चोटी की ऊँचाई 1442 मीटर है । जरगा चोटी की ऊँचाई 1431 मीटर है ।अचलगढ़ चोटी की ऊँचाई 1380 मीटर है । कुम्भलगढ़ चोटी की ऊँचाई 1224 मीटर है । रघुनाथगढ़ चोटी की ऊँचाई 1055 मीटर है । ऋषिकेश चोटी की ऊँचाई 1017 मीटर है । कमलनाथ चोटी की ऊँचाई 1001 मीटर है । सज्जनगढ़ चोटी की ऊँचाई 938 मीटर है । मोरामजी चोटी की ऊँचाई 933 मीटर है ।खोह चोटी की ऊँचाई 920 मीटर है । तारागढ़ चोटी की ऊँचाई 873 मीटर है । इसरानाभाखर चोटी की ऊँचाई 839 मीटर है । नागपहाड़ चोटी की ऊँचाई 795 मीटर है । बिबाई चोटी की ऊँचाई 780 मीटर है । बिलाली चोटी की ऊँचाई 775 मीटर है । रोजाभाखर चोटी की ऊँचाई 730 मीटर है । बैराठ चोटी की ऊँचाई 704 मीटर है । जयगढ़ चोटी की ऊँचाई 648 मीटर है । नाहरगढ़ चोटी की ऊँचाई 599 मीटर है ।
प्रमुख ऊँची चोटियाँ
- गुरु शिखर –
अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर है । राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर है । दक्षिणी अरावली की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर है । गुरूशिखर चोटी सिरोही जिले के माउण्ट आबू पर्वत पर है । हिमालय और नीलगिरी पहाड़ों में सबसे ऊँची चोटी है । गुरुशिखर की ऊँचाई 1722 या 1727 मीटर है । कर्नल जेम्स में गुरूशिखर को संतो का शिखर कहा है । गुरुशिखर ‘गुरु दन्तात्रेय का तपोस्थली’ है ।
- सेर
अरावली क्षेत्र की तथा राजस्थान की दूसरी सबसे ऊँची चोटी ‘सेर’ है । सेर चोटी सिरोही में स्थित है । सेर की ऊँचाई 1,597 मीटर है ।
- दिलवाडा
दिलवाड़ा सिरोही में है । दिलवाड़ा की ऊँचाई 1,442 मीटर है ।
- जरगा
जरगा उदयपुर में है । जरगा की ऊँचाई 1,431 मीटर है ।
- अंचलगढ़
अंचलगढ़ सिरोही में है । अंचलगढ़ की ऊँचाई 1380 मीटर है ।
- रघुनाथगढ़
रघुनाथगढ़ सीकर में है । रघुनाथगढ़ की ऊँचाई 1055 मीटर है । उत्तरी अरावली की सबसे ऊँची चोटी रघुनाथगढ़ है ।
- खोह
खोह चोटी जयपुर में है । खोह चोटी की ऊँचाई 930 मीटर है ।
- तारागढ़
तारागढ़ अजमेर में है । तारागढ़ की ऊँचाई 873 मीटर है । मध्य अरावली की सबसे ऊँची चोटी तारागढ़ है ।
- प्रमुख पर्वत
मेवल – डुंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य की पहाड़ियाँ मेवल कहलाती है । भाकर – सिरोही में ऊबड़- खाबड़ पहाडियों को स्थानीय भाषा में ‘भाकर’ कहा जाता है । गिरवा – उदयपुर में तस्तरीतुमा पहाड़ियों को गिरवा कहते है । गोगुन्दा – गोगुन्दा पर्वत उदयपुर में है । ऊपरमाल – बिजोलिया और भैसरोड़गढ़ के मध्य का क्षेत्र ‘ऊपरमाल’ कहलाता है ।मगरा – मगरा उदयपुर में है । सुण्डा / सुन्धा पर्वत – सुण्डा/ सुन्धा पर्वत जालौर में है । हर्ष पर्वत – हर्ष पर्वत सीकर में है ।बैराठ की पहाड़ी – बैराठ की पहाड़ी जयपुर में है ।उदयनाथ की पहाड़ी – उदयनाथ की पहाड़ी अलवर में है ।नाकोडा पर्वत – नाकोडा पर्वत बाडमेर में है ।खमनौर की पहाड़ियाँ – खमनौर की पहाड़ियाँ राजसमन्द में है ।मालखेत की पहाड़ियाँ – मालखेत की पहाड़ियाँ सीकर में है ।बीजक की पहाड़ी – बीजक की पहाड़ी जयपुर में है ।जसवंत की पहाड़ी – जसवंत की पहाड़ी जालौर में है ।छप्पन की पहाड़ियाँ – छप्पन की पहाड़ियाँ बाड़मेर में है ।मालाणी पर्वत – मालाणी पर्वत बाडमेर है ।चिडियाटूक पहाड़ी – चिडियाटूक पहाड़ी जोधपुर में है । मेहरानगढ़ दुर्ग चिडियाटूक पहाड़ी पर बना हुआ है ।त्रिकुट की पहाडी – त्रिकुट की पहाडी जैसलमेर में है । त्रिकुट की पहाडी पर जैसलमेर का ‘स्वगिरि दुर्ग’ बना हुआ है ।पिडमांट का मैदान – पिडमांट का मैदान देवगढ़ (राजसमन्द) में है । देवगढ़, राजसमन्द में निर्जन पहाड़ियों को पिडमांट का मैदान कहते है ।मुकुन्दवाड़ा – मुकुन्दवाड़ा कोट व झालावाड़ में है ।भानगढ़ – भानगढ़ अलवर में है ।लसाड़िया पर्वत – लसाड़िया पर्वत उदयपुर मे है ।नाग पहाड़ियाँ – नाग पहाड़ियाँ अजमेर में है ।सर्प मुखी पहाड़ी – सर्प मुखी पहाड़ी पाली में है ।तोरावाटी पहाड़ी – तोरावाटी पहाड़ी सीकर और झुन्झुनू में है ।मेरवाड़ा की पहाडियाँ – मेरवाड़ा की पहाडियाँ अजमेर में है ।मेरवाड़ा की पहाड़ियों का दक्षिणी छोर ‘कुकरा की पहाड़ी’ कहलाता है । कुकरा की पहाड़ी मेवाड़ को मेरवाड़ा से जोड़ती है ।बिजासन पहाड़ी – बिजासन पहाड़ी माण्डलगढ व भीलवाड़ा के मध्य है । देशहरों का पठार – देशहरों का पठार उदयपुर में जरगा व रागा पहाड़ियों के मध्य है । अरावली का केन्द्रीय भाग टोंक व सवाईमाधोपुर में है ।
पूर्वी मैदान
पूर्वी मैदान ‘टेथिस सागर का अवशेष’ है । पूर्वी मैदान राजस्थान के 23 % भाग में फैला है । पूर्वी मैदान में राजस्थान की 39 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है ।पूर्वी मैदान राजस्थान का सबसे उपजाऊ क्षेत्र है ।पूर्वी मैदान में राजस्थान का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है । पूर्वी मैदान में वर्षा 50 से॰मी॰ से 80 से॰मी॰ होती है ।पूर्वी मैदान की जलवायु आर्द्र जलवायु है । सर्वाधिक डांग क्षेत्र पूर्वी मैदान के करौली जिले में है । कांठल का मैदान – कांठल का मैदान प्रतापगढ़ में है । माही नदी के सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र को काण्ठल का मैदान कहते है । छप्पन का मैदान – छप्पन का मैदान प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा के मध्य है । छप्पन का मैदान 56 गाँवों का समूह है । छप्पन का मैदान माही नदी के प्रवाह क्षेत्र में आता है । छप्पन का मैदान को ‘भाटी का मैदान’ भी कहते है ।
दक्षिणी पूर्वी पठार
दक्षिणी पूर्वी पठार गोडवाना लैण्ड का अवशेष है । दक्षिणी पूर्वी पठार को हाड़ौती का पठार और लावा पठार भी कहते है ।दक्षिणी पूर्वी पठार अरावली और विन्ध्याचल को जोड़ने का कार्य करता है । इस कारण इसे संक्रांति प्रदेश भी कहते है ।दक्षिणी पूर्वी पठार राजस्थान के 7 प्रतिशत भाग पर फैला हुआ है ।दक्षिणी पूर्वी पठार पर राजस्थान की 11 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है ।दक्षिणी पूर्वी पठार सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है ।दक्षिणी पूर्वी पठार की जलवायु अतिआर्द्र जलवायु है ।दक्षिणी पूर्वी पठार की औसत ऊँचाई 500 मीटर है ।दक्षिणी पूर्वी पठार में सर्वाधिक नदियाँ पाई जाती है ।राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार ‘उड़िया का पठार’ है ।उड़िया का पठार सिरोही में है ।उड़िया के पठार की ऊँचाई 1360 मीटर है ।राजस्थान का दूसरा सबसे ऊँचा पठार ‘आबू का पठार’ है ।आबू के पठार की ऊँचाई 1200 मीटर है ।राजस्थान का सबसे ऊँचा शहर ‘सिरोही’ है ।आबू के पठार पर सिरोही शहर बसा हुआ है ।राजस्थान का तीसरा सबसे ऊँचा पठार ‘भोराठ का पठार’ है ।भोराठ का पठार गोगुन्दा पर्वत और कुम्भलगढ़ के मध्य है ।कुम्भलगढ़ और गोगुन्दा पर्वत राजसमन्द जिले में है ।
मेसा का पठार पर चित्तौड़गढ़ दुर्ग बना हुआ है ।
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