कुम्भलगढ़ दुर्ग (कुम्भलगढ़ फोर्ट/ kumbhalgarh Fort)
• कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण कुम्भा ने 1443-58 में करवाया ।
•इसका वास्तुकार मण्डन है ।
• यह दुर्ग जरगा पहाड़ी पर बना है ।
• मेवाड़ व मारवाड़ की सीमान्त प्रहरी ‘कुम्भलगढ़ दुर्ग’ कहलाता है ।
• मेवाड़ के शासकों को संकटकालीन राजधानी ‘कुम्भलगढ़ दुर्ग’ कहलाता है ।
• इसकी दीवार की लम्बाई 36 कि॰मी॰ है ।
• इस दीवार को ‘भारत की महान दीवार, ग्रेट वॉल ऑफ इण्डिया’ कहते है ।
• अबुल फजल ने कहा है कि ये दुर्ग इतनी बुलन्दी पर बना है कि नीचे से ऊपर देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है ।
• कर्नल जेम्स टॉर्ड से कुम्भलगढ़ दुर्ग की तुलना एस्टुकन्स से की है ।
• महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ ।
• उदयसिंह का राज्यभिषेक कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ ।
• इस दुर्ग मे झाली रानी का मालियां महल बना है, जो कुम्भा ने बनाया ।
• इस दुर्ग में पृथ्वीराज सिसोदिया की 12 खम्भों की छतरी बनी हुई है । .
गागरोन दुर्ग
• गागरोन दुर्ग झालावाड़ में है ।
• इसको डोडगढ़ और घुलगढ़ भी कहते है ।
• गागरोन दुर्ग जल दुर्ग है ।
• यह कालीसिंध और आहु नदियों के संगम पर बना हुआ है ।
• यह दुर्ग मुकुन्दरा की पहाड़ी पर स्थित है ।
• इसका गोगरोन नाम देवनसिंह खिंची ने रखा ।
• इसमें शत्रुओं पर पत्थरों से वर्षा करने वाला औजार रखा हुआ है ।
• यह दुर्ग पाषाण कालीन उपकरणों के लिए प्रसिद्ध है ।
• गागरोन दुर्ग में नींव नहीं है ।
• इसमें पीपा जी की छतरी बनी हुई है ।
• इसमें मीठेशाह की दरगाह है, जिसका निर्माण औरंगजेब ने करवाया था ।
• इसमें दरगाह संत हमीनुदीन की है ।
• इसमें कोटा के शासकों की स्वतंत्र टकसाल स्थापित की गई थी ।
• औरंगजेब ने गागरोन दुर्ग में बुलन्द दरवाजे का निर्माण करवाया ।
• अकबर ने फतेहपुर सिकरी में बुलन्द दरवाजे का निर्माण करवाया ।
• इस दुर्ग में दो साके हुए
- प्रथम साका 1423 में गागरोन के शासक अचलदास खिंची पर होशगंशाह (अल्प खाँ गोरी) आक्रमण के कारण उमादे ने जौहर करके किया ।
- दुसरा साका 1444 में गागरोन के शासक फल्हणसी पर महमूद खिलजी आक्रमण के कारण हुआ ।
• दूसरा साका के बाद महमूद खिलजी ने गागरोन दुर्ग का नाम मुस्तफाबाद रखा ।
भटनेर दुर्ग
• भटनेर दुर्ग हनुमानगढ में घग्घर नदी के किनारे है ।
• यह एक धान्व दुर्ग है ।
• इसका निर्माण भूपत भाटी ने (288 ई॰ में/ 3शताब्दी) में किया गया ।
• यह राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग है ।
• इसका वास्तुकार कैकैया था ।
• उत्तरी सीमा का प्रहरी या रक्षक कहलाता है ।
• 1001 में महमूद गजनवी वे इस दुर्ग पर आक्रमण किया ।
• 1398 में तैमूर लंग ने अपने ग्रन्थ तुजुक-ए-तेमूर में इसकी प्रशंसा की है ।
• इसमें हिन्दू महिलाओं के साथ मुस्लिम महिलाओं ने भी जौहर किया था ।
• सर्वाधिक विदेशी आक्रमण इस दुर्ग पर हुआ ।
• बीकानेर के शासक सुरतसिंह ने इसको जब्ता खां से मंगलवार के दिन जीता, इसलिए इसे हनुमानगढ़ भी कहते है ।
• इसको उत्तरभट्ट किवाड़ भी कहा जाता है ।
शेरगढ़ दुर्ग (बारां)
• शेरगढ़ दुर्ग बारां में परबन नदी के किनारे है ।
• यह एक जलदुर्ग है ।
• इसका प्राचीन नाम कोशवर्द्धन था ।
• शेरशाह सुरी के नाम पर इसका नाम शेरगढ़ पड़ा ।
• यह दुर्ग लाल किले के समान दिखाई देता है ।
शेरगढ़ दुर्ग (धौलपुर)
• शेरगढ़ दुर्ग धौलपुर में चम्बल नदी के किनारे है ।
• यह एक जल दुर्ग है ।
• तीसरी शताब्दी में कुषाण वंश के शासन काल में मालदेव ने धौलपुर में शेरगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया ।
• शेरशाह सुरि ने इसका जिर्णोदार करवाया और इसका नाम अपने नाम पर शेरगढ़ रखा ।
• इस दुर्ग में हुहुकार तोप रखी हुई है ।
• इसको दक्खिन का द्वारगढ़ भी कहते है ।
• अकबर ने इसमें मोमबती के उजाले में ग्वालीयर जाते समय धौलपुर के विकास का आदेश दिया ।
कल से हम राजस्थान के सभी दुर्गों के बारे में पढ़ेंगे ।
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