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18.1 चित्तौड़गढ़ दुर्ग

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण मौर्यवंशीय राजा चित्रांगद मौर्या ने सातवीं शताब्दी में करवाया था । • चित्तौड़गढ़ दुर्ग गिरी दुर्ग है । चित्तौड़गढ़ दुर्ग गिरी

Rajasthan-ki-janjati

17 Rajasthan Ki Janjati

Rajasthan Ki Janjati (राजस्थान की जनजाति):- राजस्थान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (संशोधन) अधिनियम 1976 के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की सूची :- भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डूंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तड़वी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वसावें भील मीना, डामोर, डामरिया, धानका, तडबी, वालवी, तेतारिया, गरासिया (राजपूत गरासिया को छोडकर) ।

16 Rajasthan ke Andolan

राजस्थान के आन्दोलन/Rajasthan ke Andolan :- पिछली बार हमने 1857 की क्रान्ति का अध्यायन किया था । आज हम राजस्थान में स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए चर रहे प्रयास के माध्यम से उत्पन्न राजस्थान के आन्दोलन के बारे में आज पढ़ेगे

15 1857 की क्रान्ति । 1857 ki kranti in hindi

भारत में 1857 की क्रान्ति हुई । तब राजस्थान में भी 1857 की क्रान्ति राजस्थान (1857 ki kranti rajasthan) अर्थात् राजस्थान में भी 1857 की क्रान्ति हुई । उस 1857 की क्रान्ति के कारण (1857 ki kranti ke karan) का आज हम 1857 की क्रान्ति के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं कारण (1857 ki kranti ke Notes) को जानेगें ।

14 राजस्थान के लोकगीत Best

राजस्थान के लोकगीत (Rajasthan Ke Lokgit) :- भारत एक त्यौहारों का देश है । इन त्यौहारों पर लोग खुशी मनाने के लिए त्यौहारों के गीत गाते है । जिस तरह राजस्थान में त्यौहार समय अर्थात् मौसम के अनुसार आते है । उसी प्रकार राजस्थान के गीत (Rajasthan ke Git) भी अनेक तरह के होते है और मौसम के अनुसार भी होते है । गीत दुःख, सुख, यश और भक्ति को व्यक्त करते है । देवेन्द्र सत्यार्थी ने लोकगीतों को किसी संस्कृति का मुंह बोला चित्र कहा है । लोकगीतों के संस्मरण को चोबोली कहते है ।

13 Rajasthan ki Prachin Sabhyata

Rajasthan ki Prachin Sabhyata (राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ) :- कल हमने अध्ययन किया था Rajasthan Ki Devi (राजस्थान की लोक देवियों) के बारे में और आज का अध्याय है Rajasthan ki Prachin Sabhyata (राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ) ।

12 Rajasthan Ki Devi

राजस्थान की लोक देवीयाँ (Rajasthan Ki Devi) rajasthan ki devi (राजस्थान की प्रमुख लोक देेवियाँ) :- मनुष्य की प्रवृत्ति रही है कि किसी न किसी देवी और देवताओं की पूजा अर्चना करने की । वैसे भी भारतीय समाज में नारियों को देवी समझकर उनकी बातों को आशिर्वाद समझकर मना जाता है ।और उनकी पूजा की …

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11 चौहानों का इतिहास History of Chauhan

चौहानों का इतिहास (History of Chauhan) 7 वीं से 12 वीं शताब्दी तक का काल ‘चौहानों का काल’ कहलाता है । चौहानों की उत्पत्ति के मत • अग्नि कुण्ड का मत शाकम्बरी के चौहान चौहान वंश की स्थापना • चौहान वंश की स्थापना 551 ई॰ में वासुदेव चौहान ने की ।• वासुदेव चौहान को ‘चौहानों …

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10 राजस्थान के लोक नृत्य best Notes

राजस्थान के लोक नृत्य (Rajasthan ke Lok Nritya) :- पिछले अध्याय में राजस्थान के त्यौहार Rajasthan ke Tyohar के बारे में जानकारी प्राप्त की थी । आज हम नृत्य (dance) के बार में जानकारी लेंगे । भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक लोकनृत्य प्रचलित हैं। लोगों को नाचना, गाना, बजाना और देखना अच्छा लगता है । राजस्थानी लोगों को भी यह अच्छा लगता है । किसी किसी जाति का तो यह पैशा है । नृत्य त्यौहार एवं खुशी के अवसर पर ही नृत्य किया जाता है । इस प्रकार राजस्थान में किसी स्थान पर प्रमुख रूप से प्रसिद्ध हुए नृत्य को लोक नृत्य कहा गया है ।