8 राजस्थान के लोक देवता

राजस्थान के लोक देवता

लोगों में भक्ति का प्रचलन प्राचीनकाल से चला आ रहा है । इस लिए लोग किसी न किसी को देवी देवता के रूप में पूजते है । इसी प्रकार राजस्थान में भी राजस्थान के लोग अपने देवता एवं देवियों को भी पूजते है । राजस्थान के लोक देवता और देवियाँ (राजस्थान के प्रमुख लोक देवता एवं देवी) कई है । देवताओं में राजस्थान में 5 पंचपीर (राजस्थान के पंचपीर) है । गोगाजी, पाबूजी, मेहाजी, रामदेवजी और हड़बूजी । 

गोगा जी

• गोगाजी चौहान वंशीय थे ।
• गोगाजी का जन्म ददरेवा (चूरू) में 1003 ई॰वी॰ में भाद्र कृष्ण नवमी को हुआ ।
• गोगाजी के पिता ‘जेवर सिंह’ और माता ‘बाछल देवी’ तथा गुरु ‘गोरखनाथ’ थे ।
• गोगाजी का घोड़ा ‘नीला’ पत्नि ‘केमलदे’ थी ।
• गोगाजी को नाग देवता के रूप में पूजा जाता है ।
• गोगाजी ने महमूद गजनवी के साथ युद्ध किया ।
• महमुद गजनवी ने गोगाजी को साक्षात् ‘जहार पीर (लोक देवता)’ की उपाधि दी ।
• गोगाजी का सिर युद्ध करते समय जिस स्थान पर गिरा था, वो स्थान शीशमेड़ी कहलाता है ।
• शीशमेड़ी ददरेवा (चुरू) में है ।
• गोगाजी का धड़ युद्ध करते समय जिस स्थान पर गिरा था, वो स्थान धुरमेड़ी कहलाता है ।
• धुरमेड़ी गोगामेड़ी नोहर तहसील हनुमानगढ़ में है ।
• गोगाजी की प्रशंसा विदेशी विद्वान् ‘कनिंगम और वॉगेल’ ने की है ।
• गोगा जी के 17 वीं पीढ़ी के ‘कायम सिंह’ को जबर्दस्ती मुसलमान बना दिया । इस कारण वो ‘कायमखानी मुस्लमान’ कहलाते है ।
• गोगाजी के प्रमुख मन्दिर :- गोगाजी का मन्दिर दररेवा (चुरु) में है । गोगाजी की ओल्ड़ी सांचोर (जालौर) है । गोगामेड़ी मन्दिर हनुमानगढ़ में है । गोगाजी के मन्दिर का निमार्ण ‘फिरोजशाह तुगलक’ने बनवाया था । गोगाजी के मन्दिर का वर्तमान स्वरूप बीकानेर के ‘गंगासिंह’ ने दिया था । गोगाजी के मन्दिर का आकार मकबरेनुमा है । गोगाजी के मन्दिर पर ‘बिसमिल्ला’ लिखा हुआ है । गोगाजी के मुस्लिम पुजारी ‘चायल’ कहलाता है । गोगाजी के मन्दिर खेजड़ी के नीचे है ।गोगाजी का मेला ‘भाद्र कृष्ण नवमी’ को लगता है ।

पाबूजी

• पाबूजी राठौड़ वंशीय थे ।
• पाबूजी राव सीहा के वंशज थे ।
• पाबूजी को ‘लोक नायक’ और ‘लोक देवता’ के रूप में पूजे जाते हैं ।
• पाबूजी का जन्म ‘कोलमुण्ड (जोधपुर)’ में 1239 ई॰ में हुआ था ।
• पाबूजी के पिता ‘धांधल जी’ तथा माता ‘कमलादे’ थे ।
• पाबूजी की पत्नी ‘सुप्यार दे (फुलम दे)’ थी ।
• पाबूजी की घोड़ी केशर कालमी थी ।
• पाबूजी ने ‘देवली चारणी’ की गायों की रक्षा अपने बहनोई जींदराव खीची से की और वीरगति को प्राप्त हुआ ।
• जींदराव खीची जायल नरेश था ।
• जायल राज्य नागौर में था ।
• पाबूजी को ‘ऊँटो का लोक देवता’ कहते है ।
• मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय ‘पाबू जी’ को दिया जाता है ।
• ऊँट बीमार होने पर पाबू जी की पूजा करते है और ऊँट ठीक होने पर पाबूजी की फड़ बचवाई जाती है ।
• पाबू जी की फड़ सबसे लोकप्रिय है ।
• पाबूजी को लक्ष्मण भगवान के अवतार है ।
• ऊँट पालक जाति को ‘रेबारी व राईका’ कहते है ।
• चाँदा, डेमा और हरमल पाबू जी के अंग रक्षक थे ।
• मेहर जाति के मुसलमान पाबूजी को पीर मानकर पुजते है ।
• पाबू जी ने मुल्तान के सुल्तान दुदासुमरा को पराजित किया ।
• आशिया मोडजी ने ‘पाबू प्रकाश’ लिखा ।
• अछूत समझें जाने वाले 7 भाईयों को शरण पाबूजी ने ली ।
• पाबूजी के मन्दिर कौलमुण्ड (जोधपुर) में है ।
• पाबूजी का मेला ‘चैत्र अमावस्या’ को लगता है ।
• पाबूजी के भक्त साढ़े तीन फेरे लेते हैं ।

मेहाजी

• मेहाजी मांगलियों जाति के ‘ईष्ट देव’ कहलाते है ।
• जैसलमेर के शासक ‘राणगदेव भाटी’ के साथ युद्ध किया ।
• मेहाजी का मन्दिर बापनी (जोधपुर) में है ।
• मेहाजी का घोड़ा ‘किरड़ काबरा’ वंशीय था ।
• मेहाजी के पुजारी की वंश वृद्धि नहीं होती ।

रामदेव जी

राजस्थान के लोक देवता Ramdev ji रामदेव जी

• रामदेव जी को ‘पीरो का पीर, रामसा पीर, रूणीचा रा धणी कहते है ।
• मुसलमान रामेदव जी को रामसापीर के रूप में पूजते हैं ।
• रामदेव जी का जन्म ‘उण्डकासमेर गाँव’ शिव तहसील (बाडमेर) 1405 ई॰ में हुआ ।
• रामदेव जी का जन्म ‘भाद्रपद शुक्ल द्वितीय’ को हुआ था । इस कारण भाद्रपद शुक्ल द्वितीय को ‘बाबा री बीज’ कहते है ।
• रामदेव जी तंवर वंशीय थे ।
• रामदेव जी अर्जुन के वंशज माने जाते हैं ।
• रामदेव जी को कृष्ण भगवान के अवतार माने जाते है ।
• रामदेव जी का घोड़ा ‘लीला’ था ।
• रामदेव जी की पत्नी ‘नेतल दे’ थी ।
• रामदेव जी के गुरु ‘बालीनाथ’थे ।
• रामदेव जी के पिता ‘अजमाल जी’ थे ।
• रामदेव जी की सगी बहिन ‘सुगना बाई’ थी ।
• रामदेव जी का बड़ा भाई ‘वीरमदेव’ था ।
• रामदेव जी की माता ‘मैणा दे’ थी ।
• रामदेव जी की धर्म बहन ‘डाली बाई’ थी ।
• डाली बाई मेघवाल जाति की थी ।
• रामदेव जी के मेघवाल भक्त ‘जन रिखिया’ कहलाते है ।
• रामदेव जी के मेघवाल भक्तजन रामदेवजी को ‘आधा भोग’ लगाते हैं, आधा डाली बाई को लगते है ।
• मेघवाल जाति के लोग रामदेव जी को कपड़े से बना हुआ घोड़ा चढ़ाते है ।
• रामदेव जी ने बचपन में भैरव नामक राक्षस का वध किया था ।
• रामदेव जी ने ‘कामड़िया पंथ’ की स्थापना की ।
• रामदेव जी एकमात्र लोकदेवता थे, जो कवि थे ।
• रामदेव जी ने ‘चौबिस बाणियाँ’ पुस्तक लिखी ।
• रामदेव जी एकमात्र लोकदेवता है, जिन्होंने मुर्ति पूजा का विरोध किया ।
• रामदेव जी के ‘पगल्यों की पूजा’ की जाती है ।
• रामदेव जी के मन्दिर को ‘देवरा’ कहते है ।
• रामदेव जी के मन्दिर पर 5 रंग का ध्वज चढ़ाया जाता है । जिसे ‘नेजा’ कहते है ।
• रामदेव जी के रात्रि जागरण को ‘जम्मा’ कहते है ।
• रामदेव जी का मेला रूणीचा (रामदेवरा, जैसलमेर) में भाद्र शुल्क 2 से 11 तक लगता है ।
• रूणीचा के मेले में कामड़िया जाति की महिलाएँ ‘तेरहताली नृत्य’ करती है ।
• लोक देवताओं में साम्प्रदायिक सद्भावना का सबसे बड़ा मेला रूणीचा का मेला (रामदेव जी का मेला) है ।
• संतो में सबसे बड़ा साम्प्रदायिक सद्भावना का मेला ‘ख्याजा मोइनुद्दीन चिश्ती’ का है, जो अजमेर लगता है ।
• रामदेव जी का मन्दिर रूणीचा (रामदेवरा, जैसलमेर) में है ।
• रामदेव जी का मन्दिर छोटा रामदेवरा (गुजरात) में है ।
• रामदेव जी का मन्दिर सुरताखेड़ा (चित्तौड़गढ़) में है ।
• मसुरिया की पहाड़ी (जोधपुर) पर रामदेव जी का मन्दिर है ।
• बिरोटीया की पहाड़ी (अजमेर) पर रामदेव जी का मन्दिर है ।
• रामदेव ही एकमात्र जीवित समाधी ली ।
• रामदेव जी ने रुणीचा (जैसलमेर) में भाद्रपद शुक्ल एकादशमी को समाधी ली थी ।
• रामदेवजी से एक दिन पूर्व अर्थात् भाद्रपद शुक्ल दशमी को डाली बाई ने जीवित समाधि ली ।

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