18.3 kumbhalgarh Fort
कुम्भलगढ़ दुर्ग (कुम्भलगढ़ फोर्ट/ kumbhalgarh Fort) • कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण कुम्भा ने 1443-58 में करवाया । • कुम्भलगढ़ दुर्ग का वास्तुकार मण्डन है ।
कुम्भलगढ़ दुर्ग (कुम्भलगढ़ फोर्ट/ kumbhalgarh Fort) • कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण कुम्भा ने 1443-58 में करवाया । • कुम्भलगढ़ दुर्ग का वास्तुकार मण्डन है ।
Rajasthan Ke Durg । राजस्थान के दुर्ग • सर्वप्रथम दुर्गों का उल्लेख मनुस्मृति में मिलता है । • मनु व कौटील्य ने गिरिदुर्ग को सर्वश्रेष्ट बताया है ।
तारागढ़ दुर्ग (Taragarh Fort Ajmer) • तारागढ़ दुर्ग (Taragarh Durga) अजमेर में है ।• तारागढ़ दुर्ग (Taragarh Durga) एक गिरी दुर्ग है ।• तारागढ़ दुर्ग का निर्माण अजयराज ने 1113 में करवाया ।• तारागढ़ दुर्ग को ‘अरावली का अरमान’ कहते है ।• तारागढ़ दुर्ग बीठड़ी पहाड़ी पर बना है, इसलिए इसे गढ़बिठडी भी कहते है …
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण मौर्यवंशीय राजा चित्रांगद मौर्या ने सातवीं शताब्दी में करवाया था । • चित्तौड़गढ़ दुर्ग गिरी दुर्ग है । चित्तौड़गढ़ दुर्ग गिरी
Rajasthan Ki Janjati (राजस्थान की जनजाति):- राजस्थान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (संशोधन) अधिनियम 1976 के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की सूची :- भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डूंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तड़वी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वसावें भील मीना, डामोर, डामरिया, धानका, तडबी, वालवी, तेतारिया, गरासिया (राजपूत गरासिया को छोडकर) ।
राजस्थान के आन्दोलन/Rajasthan ke Andolan :- पिछली बार हमने 1857 की क्रान्ति का अध्यायन किया था । आज हम राजस्थान में स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए चर रहे प्रयास के माध्यम से उत्पन्न राजस्थान के आन्दोलन के बारे में आज पढ़ेगे
भारत में 1857 की क्रान्ति हुई । तब राजस्थान में भी 1857 की क्रान्ति राजस्थान (1857 ki kranti rajasthan) अर्थात् राजस्थान में भी 1857 की क्रान्ति हुई । उस 1857 की क्रान्ति के कारण (1857 ki kranti ke karan) का आज हम 1857 की क्रान्ति के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं कारण (1857 ki kranti ke Notes) को जानेगें ।
राजस्थान के लोकगीत (Rajasthan Ke Lokgit) :- भारत एक त्यौहारों का देश है । इन त्यौहारों पर लोग खुशी मनाने के लिए त्यौहारों के गीत गाते है । जिस तरह राजस्थान में त्यौहार समय अर्थात् मौसम के अनुसार आते है । उसी प्रकार राजस्थान के गीत (Rajasthan ke Git) भी अनेक तरह के होते है और मौसम के अनुसार भी होते है । गीत दुःख, सुख, यश और भक्ति को व्यक्त करते है । देवेन्द्र सत्यार्थी ने लोकगीतों को किसी संस्कृति का मुंह बोला चित्र कहा है । लोकगीतों के संस्मरण को चोबोली कहते है ।
Rajasthan ki Prachin Sabhyata (राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ) :- कल हमने अध्ययन किया था Rajasthan Ki Devi (राजस्थान की लोक देवियों) के बारे में और आज का अध्याय है Rajasthan ki Prachin Sabhyata (राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ) ।
राजस्थान की लोक देवीयाँ (Rajasthan Ki Devi) rajasthan ki devi (राजस्थान की प्रमुख लोक देेवियाँ) :- मनुष्य की प्रवृत्ति रही है कि किसी न किसी देवी और देवताओं की पूजा अर्चना करने की । वैसे भी भारतीय समाज में नारियों को देवी समझकर उनकी बातों को आशिर्वाद समझकर मना जाता है ।और उनकी पूजा की …