15 1857 की क्रान्ति । 1857 ki kranti in hindi

1857 की क्रान्ति

भारत में 1857 की क्रान्ति हुई । तब राजस्थान में भी 1857 की क्रान्ति राजस्थान (1857 ki kranti rajasthan) अर्थात् राजस्थान में भी 1857 की क्रान्ति हुई । उस 1857 की क्रान्ति के कारण (1857 ki kranti ke karan) का आज हम 1857 की क्रान्ति के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं कारण (1857 ki kranti ke Notes) को जानेगें ।

1857 की क्रांति के मुख्य कारण 

• राजस्थान में 1857 की क्रान्ति मुख्य कारण ‘लार्ड डलहोजी की गोद निषेध प्रथा’ तथा ‘एनफील्ड राइफल में गाय सुअर की चर्बी लगी होती थी, इसको चलाने से पहले मुंह से निकालना पड़ता था इसलिए सैनिको मे असन्तोष व्याप्त हुआ’ थे ।
• 1857 की क्रान्ति का प्रतिक चिह्न ‘कमल का फूल और चपाती’ थी ।
• भारत में क्रान्ति की तारीख निश्चित 31 मई 1857 को की गई ।
• भारत में क्रान्ति शुरू 10 मई 1857 (मेरठ छावनी, उतरप्रदेश) हुई ।
• सबसे पहले विद्रोह 29 मार्च 1857 को हुआ ।
• मंगल पाण्डे ने बैरकपुर छावनी (पश्चिमी बंगाल) में विद्रोह किया ।
• मंगल पाण्डे को फाँसी 8 अप्रैल 1857 हुई ।
• राजस्थान में क्रान्ति शुरू 28 मई 1857 नसीराबाद छावनी (अजमेर) से हुई ।
• क्रान्ति के समय भारत का गर्वनर जनरल लार्ड कैनिंग था ।
• क्रान्ति के समय ब्रिटेन की महारानी ‘विक्टोरिया’ थी ।
• क्रान्ति के समय राजस्थान का एजेन्ट टू गर्वनर जनरल ‘पैट्रिक लॉरेन्स’ था ।

A.G.G (एजेन्ट टू गर्वनर जनरल)

• A.G.G (एजेन्ट टू गर्वनर जनरल) की स्थापना 1832 में हुई ।
• A.G.G संस्थापक ‘लार्ड विलियम बैटिंग’ था ।
• राजस्थान का प्रथम A.G.G ‘लॉकेट’ था ।
• एजेन्ट टू गर्वनर जनरल का मुख्यालय अजमेर में था ।
• क्रान्ति के समय मुख्यालय माउन्ट आबू (सिरोही) में था ।
• क्रांति के दो विजय स्तम्भ पाली में बने हुए है ।
• भारत में क्रान्ति का नेतृत्व ‘बहादूर शाह जफर’ ने किया ।
• क्रांति के समय राजस्थान में 6 छावनियाँ थी । ऐरनपुर, ब्यावर, नसीराबाद, नीमच (MP), देवली (टोंक), खेरवाड़ा ।
• छः छावनियों में से 2 छावनियों (ब्यावर और खेरवाड़ा) ने 1857 की क्रांति में भाग नहीं लिया ।

छावनियाँ

नसीराबाद छावनी

• नसीराबाद छावनी अजमेर में है ।
• नसीराबाद छावनी राजस्थान की सबसे बड़ी व शक्तिशाली छावनी थी
• राजस्थान में सर्वप्रथम क्रान्ति का प्रारम्भ नसीराबाद छावनी से हुआ ।
• नसीराबाद छावनी की क्रांति 28 मई 1857 को प्रारम्भ हुई ।
• नसीराबाद छावनी पर विद्रोह 15वीं बंगाल इफेन्टी कम्पनी ने किया ।
• नसीराबाद छावनी की सबसे बड़ी मूल अजमेर की ओर प्रस्थान ना करके दिल्ली की ओर प्रस्थान करना था ।

नीमच छावनी

• मध्यप्रदेश में नीमच छावनी में क्राति 3 जून 1857 को हुई ।
• राजस्थान की एकमात्र छावनी थी, जो राजस्थान के बाहर थी ।
• सैनिको को शपथ कर्नल ऐबॉट ने दिलाई ।
• नीमच छावनी की क्रांति का नेतृत्व मोहम्मद अली बेग और हीरा सिंह ने किया ।
• नीमच छावनी से 40 अंग्रेज सैनिक भागे और डुंगला (चितौडगेड) मे शरण ली ।
• नीमच छावनी पर क्रान्तिकारियों ने इन 40 सैनिकों को बन्दी बना लिया ।
• मेवाड़ के P.A. (पॉलटिक्ल एजेन्ट) मेजर शावर्स ने 40 सैनिकों को आजाद करवाया ।
• मेवाड़ के शासक स्वरूप सिंह ने इन 40 सैनिकों को पिछोला झील (उदयपुर) मे बने हुए जगमन्दिर में शरण दी ।
• मेवाड़ का शासक स्वरूप सिंह था, जिसने 1857 की क्रांति में सबसे पहले अंग्रेजो का साथ दिया ।
• राजस्थान का एकमात्र शासक बीकानेर का शासक सरदार सिंह था, जिसने अंग्रेजों की सहायता के लिए अपनी सेना को अपनी रियासत से बाहर लेकर गया ।

देवली छावनी

• देवली छावनी टोंक में 7 जून 1857 को क्रान्ति हुई ।
• नीमच व देवली छावनी के सैनिकों ने मिलकर देवली छावनी में विद्रोह किया ।

ऐरनपुरा छावनी

• ऐरनपुरा छावनी वर्तमान में पाली में है ।
• ऐरनपुरा छावनी की क्रांति 21 अगस्त 1857 को हुई ।
• ऐरनपुरा छावनी का नेतृत्व शिवनाथ सिंह ने किया ।
• ऐरनपुरा छावनी में राजस्थान के A.G.G पैट्रिक लॉरेन्स के पुत्र अलकजेन्डर की हत्या कर दी गई ।
• ऐरनपुरा छावनी ने ‘दिल्ली चलो मारो फिरंगियों’ का नारा दिया ।

क्रान्तियाँ

1857 की क्रान्ति 1857 ki kranti in hindi rajasthan

आउवा में क्रान्ति

• आउवा में क्रान्ति पाली में हुई ।
• आउवा मारवाड़ रियायत का एक ठीकाना था ।
• आउवा का शासक कुशाल सिंह चप्पावत था ।
• कुशाल सिंह की कुलदेवी सुगाली माता (महाकाली) थी ।

बिथौड़ा का युद्ध

• 8 सितम्बर 1857 को पाली में लड़ा गया ।
• बिथौड़ा का युद्ध में एक तरफ कुशालसिंह की सेना तथा दुसरी में तरफ तख्त सिंह तथा अंग्रेज अधिकारी हीथकोट की संयुक्त सेना थी ।
• बिथौड़ा का युद्ध में तख्तसिंह का सेनापति अनारसिंह तथा हीथकोट मारा गया और विजय कुशाल सिंह की हुई ।

चेलावास का युद्ध

• चेलावास का युद्ध 18 सितम्बर 1857 को पाली में हुआ ।
• सुर्यमल मिश्रण ने चेलावास का युद्ध को गौरो एवम् कालों का युद्ध कहा है ।
• चेलावास का युद्ध में एक तरफ कुशालसिंह की सेना तथा दूसरी तरफ राजस्थान A.G.G पेट्रीक लोरेन्स और मारवाड़ के P.A. मेकमोसन की संयुक्त सेना थी ।
• चेलावास का युद्ध में मेकमोसन की गर्दन काटकर आउवा के किले पर लटका दी गई ।
• चेलावास का युद्ध में विजय कुशाल सिंह की हुई ।
• भारत के गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग ने मेजर होम्स की अगुवाई में 20 जनवरी 1858 को एक विशाल सेना आउवा पर भेजी । इस बार कुशालसिंह की हार हुई ।
• कुशालसिंह ने आउवा का किला अपने भाई पृथ्वीसिंह को सौपा और कोठारिया (उदयपुर) के रावत जोधसिंह के पास शरण ली ।
• अंग्रेजो ने आउवा के किले को तहस – नहस कर दिया ।
• कुशालसिंह ने 8 अगस्त 1880 को नीमच में अंग्रेजों को आत्म समर्पण कर दिया ।
• अंग्रेजो ने कुशालसिंह की जाँच के लिए टेलर आयोग को झूठन किया ।
• टेलर आयोग ने कुशाल सिंह को निर्दोष पाया और रिहा कर दिया ।
• कुशलसिंह का साथ देने वाले शिवनाथ सिंह, अजीत सिंह, बिशनसिंह और रावत केशरी सिंह ने दिया ।

कोटा में क्रान्ति

• कोटा में क्रान्ति 15 अक्टूम्बर 1857 को हुई ।
• कोटा क्रान्ति के समय कोटा का रामसिंह द्वितीय था ।
• कोटा की क्रान्ति का नेतृत्व जयदयाल और मेहराब खाँ ने किया ।
• कोटा की क्रान्ति का P.A. ‘मेजर बर्टन’ था ।
• नारायण और भवानी नामक व्यक्तियों ने मेजर बर्टन की गर्दन को काट करके पुरे कोटा शहर में घुमाया ।
• कोटा पर डॉक्टर सैडलर कॉटम भी मारा गया ।
• कोटा पर मेजर बर्टन के दो पुत्र फेंक और ओर्थर भी मारा गया ।
• क्रांतिकारियों ने रामसिंह को कोटा महल में नजरबन्द कर दिया ।
• लगभग 6 महिने तक कोटा पर क्रांतिकारियों का अधिकार रहा ।
• भारत के गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग ने राबर्ट की अगुवाई में एक विशाल सेना कोटा भेजी ।
• कोटा को क्रांतिकारियों से मुक्त करवाने में करौली के शासक मदनपाल ने योगदान दिया ।
• अंग्रेजों ने मदनपाल को से ग्रान्ड कमान्डर स्टेट ऑफ इंडिया (GCI) की उपाधि दी ।
• ग्रान्ड कमान्डर स्टेट ऑफ इंडिया (GCI) की उपाधी थी ।
• अंग्रेजों ने रामसिंह के 15 तोपों की सलाशी को अधिकार को घटाकर 11 कर दिया बाद में जयदयाल और मेहराब खाँ को फांसी दे दी ।
• राजस्थान में 1857 की क्रांति में सर्वाधिक योगदान ‘कोटा की क्रांति’ का है ।
• राजस्थान में सबसे सुनियोजित, सुनिश्चित तथा सबसे भीषण क्रांति कोटा की थी ।

भरतपुर में क्रांति

• भरतपुर में क्रांति 31 मई 1857 को हुई ।
• भरतपुर में क्रांति उसी दिन हुई जिस दिन भारत में क्रांति की तारीख निश्चित की गई थी ।
• भरतपुर का शासक जसवंत सिंह था ।

धौलपुर में क्रांति

• धौलपुर में क्रांति अक्टूम्बर 1857 को हुई ।
• धौलपुर का शासक भगवन सिंह था ।

राजस्थान के प्रमुख व्यक्ति

अमरचन्द्र भाटीया

• अमरचन्द्र भाटीया के बीकानेर निवासी थी ।
• अमरचन्द्र भाटीया ग्वालियर में व्यापार करता था ।
• झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई और तात्या जाये की सहायता अमरचन्द्र भाटीया ने की थी ।
• अमरचन्द्र भाटीया ‘1857 की क्रान्ति का भामाशाह (1857 ki kranti ka bhamashah) ’ कहलाता है ।
• अंग्रेजो ने अमरचन्द्र भाटीया को फाँसी 22 जुन 1857 को दी ।
• अमरचन्द्र भाटीया को ‘राजस्थान को प्रथम शहीद’ कहते है ।
• अमरचन्द्र भाटीया को ‘राजस्थान का मंगल पाण्डे’ भी कहते है ।

  1. स्वतंत्रता आन्दोलन का भामाशाह ‘दामोदर दास राठी’ को कहते है ।
  2. राजस्थान का भामाशाह जमना लाल बजाज को कहते है ।

तात्या टाँपे

• तात्या टाँपे ग्वालियर का विद्रोही था ।
• तात्या टाँपे नाना साहब का स्वामी भक्त सेवक था ।
• तात्या टाँपे सर्वप्रथम 8 अगस्त 1857 को राजस्थान में कुआड़ा (भीलवाड़ा) नामक स्थान पर आया ।
• तात्या टाँपे राजस्थान में अंग्रेज विरोधी लोगों से सहायता प्राप्त करने आया था ।
• नरवर के जागीरदार मानसिंह नरूका ने तात्या टाँपे को धोखे से अंग्रेजों को पकड़वा दिया और अंग्रेजों ने इसको फाँसी दे दी ।

ताराचन्द पटेल

• ताराचन्द पटेल टोंक के निवासी थे ।
• जब निम्बाखेड़ा (चितौडगढ़) में कर्नल जेंक्सन ने आक्रमण किया तो ताराचन्द ने मुकाबला किया और वीरगति को प्राप्त हो गये ।

1857 की क्रांति (1857 ki kranti) में अंग्रेजों का साथ देने वाली रियासत व शासक

• मारवाड़ रियासत के शासक तख्तसिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।
• मेवाड़ रियासत के शासक स्वरूपसिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।
• बीकानेर रियासत के शासक सरदारसिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।
• कोटा रियासत के शासक रामसिंह द्वितीय ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।
• करौली रियासत के शासक मदनपाल ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।
• धौलपुर रियासत के शासक भगवन्त सिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।
• जयपुर रियासत के शासक रामसिंह द्वितीय ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।
• जयपुर रियासत के शासक रामसिंह द्वितीय को अंग्रेजों ने सितार-ए-हिन्द की उपाधि दी ।
• भरतपुर रियासत के शासक जसवंतसिंह ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों का साथ दिया ।

विभिन्न रियासतों के P.A.

• मेकमोसन 1857 की क्रांति (1857 ki kranti ) के समय मारवाड़ रियासत का P.A. था ।
• मेजर शावर्स 1857 की क्रांति (1857 ki kranti ) के समय मेवाड़ रियासत का P.A. था ।
• मेजर बर्टन 1857 की क्रांति (1857 ki kranti ) के समय कोटा रियासत का P.A. था ।
• मेजर ईटन 1857 की क्रांति (1857 ki kranti ) के समय जयपुर रियासत का P.A. था ।
• मोरिसन 1857 की क्रांति (1857 ki kranti ) के समय भरतपुर रियासत का P.A. था ।

अन्य तथ्य

• जयपुर रियासत में क्रांति नहीं हुई ।
• अर्जुन सिंह के द्वारा सेना के सामने रोटी खाने से मेवाड़ में क्रांति होने से बच गई ।
• क्रांतिकारियों ने कोटा, टोक, भरतपुर, धौलपुर, बांसवाड़ा व झालावाड़ आदि पर अधिकार कर लिया ।

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