21.3 वृक्ष

राजस्थान के प्रमुख वृक्ष

रोहिड़ा

• रोहिड़ा राजस्थान का राज्य पुष्प है ।
• इसको राज्य पुष्प घोषित 31 अक्टूम्बर 1983 को किया गया ।
• इसको ‘राजस्थान का सागवान’ व ‘मरूस्थल का सागवान’ कहते है ।
• इसको मारवाड़ का टीका तथा मरू शोभा भी कहते है ।
• इसका वानस्पतिक नाम ‘टीकोमेला अंडुलेटा’ है ।
• इसको जरविल चूहा हानि पहुँच रहा है, इस कारण नष्ट हो रहा है ।
• रोहिड़ा सर्वाधिक मारवाड़ में पाये जाते है ।

ढाक

• ढाक को ‘प्लास’ भी कहते है ।
• ढाक को ‘जंगल की ज्याला’ या ‘जंगल की आग’ कहते है ।
• ढाक को ‘फ्लेम ऑफ द फोरेस्ट’ भी कहते है ।
• ढाक का वानस्पतिक नाम ‘ब्यूटियों मोनोस्पर्मा’ है ।
• ढाक से केसरिया रंग तैयार किया जाता है ।
• राजसमन्द के आसपास ढाक के वृक्ष पाये जाते है ।

खेजड़ी

• खेजड़ी को ‘राजस्थान का कल्पवृक्ष’ कहते है ।
• इसको राज्य वृक्ष 31 अक्टूम्बर 1983 को घोषित किया गया ।
• इसको ‘राज्य का गौरव’ भी कहते हैं परन्तु चितौड़गढ़ को भी राजस्थान का गौरव कहते है ।
• इसको राजस्थानी भाषा में ‘जाटी और सिमलों’ कहते है ।
• इसको भारतीय धर्मग्रन्थों में ‘शमी’ कहते है ।
• इसका वैज्ञानिक नाम ‘प्रोसोपिस सेनेरेया’ है ।
• दशहरे के अवसर पर इसकी पूजा की जाती है ।

राजस्थान के प्रमुख वृक्ष Tree राजस्थान का राज्यवृक्ष खेजड़ी है ।

• इसकी पतियों को लुम कहते है ।
• इसके फूलों का प्रयोग ‘शिवजी और पार्वती की पूजा’ में करते है ।
• लुम प्रयोग गणेश जी की पूजा में करते है ।
• इसके वृक्ष लगाने से सम्बंधीत ‘रूख भायला’ कार्यक्रम चलाया गया ।
• मरूस्थल के प्रसार को रोकने के लिए ‘ऑपरेशन खेजड़ा’ चलाया गया ।
• इसकी लकड़ी को लूम सहित जब एक जगह एकत्रित किया जाता है तो उसे मोल्डया कहते है ।
• इसको नष्ट करने वाले ‘जीव सीलिस्टेना और गायकोटोर्मा’ है ।
• खेजड़ी सर्वाधिक शेखावाटी क्षेत्र में पाई जाती है ।
• जंगल की सुदरता के नाम से आर्केट को जाना जाता है ।

पंचकुटा

• पंचकुटा एक प्रकार की सब्जी है, जो शीतला अष्टमी पर बनायी जाती है ।
• पंचकुटा में केर, काचरी, कुमट के बीच, गुदा के फल और सांगरी होती है ।
• स्मृति वन : – झालाश देव

बांस

• बांस को ‘आदिवासियों का हरा सोना’ कहते है ।
• बांस एक घास का प्रकार है ।
• बांस सर्वाधिक बांसवाड़ा में पाये जाते है ।
• विश्व का सबसे तेज गति से बढ़ने वाला पौधा बांस है ।
• भारतीय धर्म ग्रंथो में बांस को वासुदेव भी कहते है ।

महुआ

• महुआ को ‘आदिवासी की कल्प वृक्ष’ कहते है ।
• महुआ से महुड़ी नामक देशी शराब तैयार की जाती है ।
• महुआ उदयपुर, डुंगरपुर, बांसवाडा में पाये जाते है ।

खैर

• खैर के वृक्ष से कथोड़ी जनजाति कत्था तैयार करती है ।
• कत्था हांडी प्रणाली से तैयार किया जाता है ।
• कत्था खेर के छाल से प्राप्त किया जाता है ।
• महुआ उदयपुर, डुंगरपुर, चित्तोड़गढ़, प्रतापगढ़ में पाया जाता है ।

तेंदु

• तेंदू के पत्ते से बीड़ी बनायी जाती है ।
• 1974 में तेंदू के पत्ते का राष्ट्रीयकरण किया गया ।
• तेंदू का स्थानीय नाम टीमरू है ।
• भारत में सर्वाधिक मध्यप्रदेश में पाया जाता है ।
• राजस्थान में कोटा, बूदी, बारां और झालावाड़ अर्थात् हाड़ौती क्षेत्र में तेंदू वृक्ष पाया जाता है ।
• भारत की सबसे काली लकड़ी तेंदू की है ।

बेर

• बेर पर लाख का कीड़ा लैसिफर लक्खा पाया जाता है ।

शहतुत

• शहतुत पर रेशम का कीड़ा पाला जाता है ।
• रेशम कीट पालन को ‘सेरीकल्चर कीट’ कहते है ।
• उदयपुर, कोटा, बांसवाडा में अर्जुन के पेड पर रेशम के कीट पाले जाते है, जिसे ‘टसर पद्धति’ कहते है ।

ऑवला

• ऑवला से चमड़ा साफ किया जाता है ।
• ऑवला में विटामिन C अधिक मात्रा में पाया जाता है ।
• ऑवला सिरोही, पाली और उदयपुर में पाया जाता है ।

जामुन

• जामुन मधुमेह रोगियों के उपचार में काम में लिया जाता है ।

घोकड़ा वन

• घोकड़ा वन राजस्थान में सर्वाधिक धोकड़ा वन पाये जाते है ।
• घोकड़ा वन की लकडी कठोर होती है, इसलिए कोयला बनाने के लिए उत्तम है ।

21 राजस्थान के वन राजस्थान के GK की प्रश्नोत्तरी

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1 thought on “21.3 वृक्ष”

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