19.5 मेवाड़ मुगल संधि best Notes

मेवाड़ का इतिहास में मेवाड़ मुगल संधि

अमरसिंह प्रथम

• अमरसिंह प्रथम का शासनकाल 1507 से 1820 तक रहा ।
• अमरसिंह प्रथम का राज्याभिषेक चावण्ड में हुआ ।
• अमरसिंह सिंह ने कर्णसिंह और जमीदारों के कहने पर मुगलों की अधिनता स्वीकार की ।

मेवाड़ मुगल संधि

• मेवाड़ मुगल संधि 5 फरवरी 1615 में हुई ।
• मेवाड़ मुगल संधि अमरसिंह व जहाँगीर के मध्य हुई ।
• मेवाड़ मुगल संधि करने जहाँगीर ने अपने पुत्र शाहजहाँ को भेजा था ।
• मेवाड़ मुगल संधि में मध्यस्था मारवाड़ के शासक सुरसिंह ने की ।
• अमरसिंह मेवाड़ को प्रथम शामक था, जिसने मुगलों को अधीनता स्वीकार की ।
• अमरसिंह की मृत्यु आहद (उदयपुर) में हुई ।
• अमरसिंह की छतरी आहड़ (उदयपुर) में है ।

मेवाड़ मुगल संधि की शर्ते

• महाराणा स्वयं मुगल में उपस्थित नहीं होगा ।
• मुगलों से वैवाहित सम्बन्ध स्थापित नहीं करेंगे ।
• चित्तौड़गढ़ दुर्ग की मरम्मत नहीं की जायेगी ।
• शाही सेना में एक हजार से ज्यादा सवार नहीं रखे जायेगे ।

कर्णसिंह

• कर्णसिंह का शासनकाल 1620 से 1628 तक रहा ।
• मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम राजकुमार कर्णसिंह था ।
• कर्णसिंह ने पिछोला झील उदयपुर में जगमन्दिर का निर्माण प्रारम्भ किया ।
• शाहजहाँ ने अपने पिता जहाँगीर से विद्रोह करके जगमन्दिर में शरण ली ।
• ताजमहल बनाने की प्रेरणा शाहजहाँ को जगमन्दिर से ही मिली ।
• शाहजहाँ ने जगमन्दिर में ‘गफूर बाबा की मजार’ का निर्माण करवाया ।

जगतसिंह प्रथम

• जगतसिंह प्रथम 1620 से 1652 तक शासनकाल रहा ।
• जगतसिंह प्रथम ने जगमन्दिर का निर्माण पुरा करवाया ।
• जगत सिंह की धाय नोजुबाई ने उदयपुर में धाय मन्दिर का निर्माण करवाया ।
• जगत सिंह ने उदयपुर में जगन्नाथ (जगदीश) मन्दिर का निर्माण करवाया ।
• जगदीश मन्दिर को ‘सपनों में बना हुआ मन्दिर’ कहते है ।
• जगत सिंह ने चित्तौड़गढ़ की मरम्मत करवाई ।
• शाहजहाँ ने प्रतापगढ़ और शाहपुरा को मेवाड़ रियासत से अलग किया ।

मेवाड़ मुगल संधि संबंध के 5 Top प्रश्न

राजसिंह

• राजसिंह 1652 से 1680 तक शासन किया ।
• इनको विजय कत कातु तथा महाराणा कहते है ।
• इनको महाराणा का नाम शाहजहाँ ने दिया था ।
• राजसिंह औरंगजेब के समकालिन था ।
• औरंगजेब का पुत्र अकबर हुमायुँ का बेटा था ।
• जब औरंगजेब ने मन्दिर तोड़ने का आदेश दिया तो राजसिंह ने विरोध किया ।
• 1660 में किशनगढ़ की राजकुमारी चारूमति के विवाह को लेकर औरंगजेब व राजसिंह के मध्य युद्ध हुआ ।
• औरंगजेब ने हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया ।
• इसका निर्माण कार्य
• अम्बा माता मन्दिर राजसिंह ने उदयपुर में बनवाया ।
• जाना जागर तालाब उदयपुर में राजसिंह ने बनवाया ।
• द्वारिकाधीश का मन्दिर कांकरोली राजसमन्द में राजसिंह ने बनवाया ।
• श्रीनाथ जी का मन्दिर नाथद्वारा (राजसमन्द) में राजसिंह ने बनवाया । जिसकी श्रीनाथ जी की मूर्ति कुन्दन से लाई गई थी ।
• राजसिंह ने राजसमन्द झील में राजसी राप्रशस्ति का निर्माण करवाया ।
• राजसिह ने राजप्रशस्ति विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति है ।
• राजप्रशस्ति तेलंग रणछोड़भट्ट तेलंग ने लिखी ।
• राजप्रशरित संस्कृत भाषा में लिखी गई है । जिसमें मेवात का इतिहास लिखा गया है ।

हाड़ा रानी

• हाड़ा रानी का वास्तविक नाम सलह कंवर था ।
• इसका पति रतनसिंह चुड़ावत था ।
• रतनसिंह चुड़ावत राजसिंह का सेनापति था ।
• हाड़ा रानी ने अपना शिश काट कर रतनसिंह को दिया ।
• मेघराज मुकूल ने हाड़ी रानी पर सेनाणी नामक कविता लिखी है ।

जयसिंह

• जयसिंह का शासनकाल 1680 से 1698 तक रहा ।
• जयसिंह उदयपुर में जयसमन्द झील का निर्माण करवाया ।
• जयसिंह का राज्यभिषेक कुरंजा गाँव, राजसमन्द में हुआ ।
• जयसिंह के समय जजिया कर समाप्त हुआ ।

अमरसिंह द्वितीय

• अमरसिंह द्वितीय का शासनकाल 1698 से 1710 तक रहा ।
• अमरसिंह ने जयपुर, मेवाड़ और मारवाड़ के मध्य वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करवाये ।
• अमरसिंह ने अपनी पुत्री चन्द्रकंवरी का विवाह सशर्त जयपुर के शासक सवाई जयसिंह के साथ किया ।
• अमरसिंह ने जमींदार व जागीरदार से सम्बन्धित नियम (सामन्ती प्रथा) बनाये ।

अमरसिंह द्वितीय, अजीत सिंह और जयसिंह के मध्य देवारी समझौता

• देवारी समझौता 1707 में मेवाड़ के शासक अमरसिंह, मारवाड़ के शासक अजीत सिंह और जयपुर के शासक सवाई जयसिंह के मध्य हुआ ।
• देवारी समझौते के अनुसार अमरसिंह ने अजीत सिंह को मारवाड़ का शासक तथा सवाई जयसिंह जयपुर का शासक बनने में सहायता की ।

संग्रामसिंह द्वितीय

• संग्रामसिंह द्वितीय ने 1710 से 1734 तक शासनकाल किया ।
• इन्होंने उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी का निर्माण करवाया ।
• हुरड़ा सम्मेलन 17 जुलाई 1734 को भीलवाड़ा मे जयपुर का शासक जयसिंह ने बुलाई ।
• राजस्थान से मराठाओं को भगाने के लिए सम्मेलन बुलाई गई ।
• हुरड़ा सम्मेलन का अध्यक्ष संग्राम सिंह चुना लेकिन मृत्यु हो गयी ।
• हुरड़ा सम्मेलन की अध्यक्षता की जगतसिंह द्वितीय ने की ।

जगतसिंह द्वितीय

• जगतसिंह द्वितीय का शासनकाल 1734 से 1778 तक रहा ।
• मराठाओं ने सबसे पहले जगतसिंह द्वितीय के समय मेवाड़ में ‘चौथ’ वसुली की ।
• जगतसिंह ने पिछोला झील उदयपुर में जगनिवास का निर्माण करवाया ।
• नादिरशाह का आक्रमण भारत में जगतसिंह द्वितीय के समय हुआ अर्थात् करनाल युद्ध 1739 में जगतसिंह द्वितीय के समय हुआ ।

भीम सिंह

• भीम सिंह ने 1778 से 1626 तक शासन किया ।
• भीम सिंह ने 1818 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी से संधि की ।
• भीम सिंह ने अपनी पुत्री कृष्ण कुमारी की सगाई मारवाड़ के शासक भीम सिंह से की ।
• मारवाड़ के शासक भीमसिंह की मृत्यु विवाह से पहले ही हो गई ।
• भीम सिंह ने कृष्णा कुमारी की सगाई जयपुर के शासक जगतसिंह से की ।
• मारवाड़ के शासक भीमसिंह का छोटा भाई मानसिंह राठौड़ नाराज हुआ और युद्ध हुआ ।

गिगोली का युद्ध

• गिगोली का युद्ध 13 मार्च 1807 को परबतसर नागौर में हुआ ।
• गिगोली के युद्ध में जगतसिंह विजय हुआ ।
• अजीत सिंह चुड़ावत व अमीर खाँ पिण्डारी के कहने पर कृष्णा कुमारी को जहर दे दिया गया ।

जवान सिंह

• जवान सिंह ने 1828 से 1038 तक शासन किया ।

सरदार सिंह

• सरदार सिंह ने 1838 से 1842 तक शासन किया ।

स्वरूप सिंह

• स्वरूप सिंह ने 1842 से 1861 तक शासन किया ।

स्वरूप सिंह

• स्वरूप सिंह 1842 से 1861 तक शासन किया ।
• स्वरूप सिंह ने 1857 की क्रान्ति में सबसे पहले अंग्रेजों का साथ दिया ।
• स्वरूप सिंह ने सति प्रथा पर 1861 में रोक लगाई ।
• स्वरूप सिंह की पत्नी ऐजावत सति हुई ।
• मेवाड़ की अन्तिम सति महिला स्वरूप सिंह की पत्नी ऐजावत थी ।

सज्जन सिंह

• सज्जन सिंह का शासनकाल 1872 से 1884 तक रहा ।
• सज्जन सिंह को अंग्रेजों ने केसर ए हिन्द व G.C.S.I. की उपाधी दी ।
• 1881 में मेवाड़ में सबसे पहले जनगणना करवाई ।
• सज्जन किर्ति सुधाकर समाचार पत्र 1876 में सज्जन सिंह के समय निकला ।
• 1880 में महेन्द्र सभा का गठन किया ।

फतेहसिंह

• फतेहसिंह का शासनकाल 1084 से 1921 तक रहा ।
• जब फतेहसिंह 1903 में दिल्ली दरबार में शामिल होने जा रहा था, तो केसरी सिंह बारहठ ने चेतावनी रां चुंगटिया नामक कविता लिखकर भेजी और उसको पढ़कर फतेहसिंह का आत्मसम्मान जाग उठा और वो दिल्ली दरबार में शामिल नहीं हुआ ।
• छपनिया अकाल (1600-1900) फतेहसिंह के समय पड़ा ।

भूपाल सिंह

• भूपाल सिंह ने 1921 से आजादी तक शासक रहा ।
• संयुक्त राजस्थान संघ का राजप्रमुख भूपाल सिंह था ।
• वृहद् राजस्थान संघ का महाराजा प्रमुख भूपाल सिंह था ।
• भूपाल सिंह मेवाड़ का एकमात्र अपंग शासक था ।

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