Mangalm मङ्गलम् NCERT Class 10th

मङ्गलम् NCERT Class 10th

मङ्गलम् NCERT Class 10th

[ पाठ परिचय- किसी भी शुभ कार्य को आरम्भ करने से पूर्व उस कार्य की निर्विघ्न समाप्ति के लिए ईश-वन्दना करना मंगलाचरण कहलाता है । भारतीय संस्कृति में काफी प्राचीन काल से ईश-वन्दना करने की परम्परा रही है । इस ईश-वन्दना में प्राय: देवी-देवताओं के माहात्म्य का गुणगान किया जाता है अथवा ईश-वन्दना करने वालों द्वारा अपने और अपने परिजनों सहित अपने वैभव (धन-सम्पत्ति) आदि की रक्षा और कल्याण की कामना की जाती है । प्रस्तुत पाठ में ‘मङ्गलम्’ के रूप में वेदों से दो मन्त्र संकलित हैं । इनमें प्रथम मन्त्र यजुर्वेद से तथा द्वितीय मन्त्र ऋग्वेद से ग्रहण किया गया है । प्रथम मन्त्र में जहाँ ईश-वन्दना करने वालों के द्वारा सौ वर्ष तक जीने की कामना की गई है, वहीं द्वितीय मन्त्र में वैचारिक सात्त्विकता और वैभव-वृद्धि की कामना की गई है । ]

(1)

ॐ तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत् ।
पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शतम् ।
शृणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतम् ।
अदीनाः स्याम शरदः शतम् । भूयश्च शरदः शतात् ॥ (यजुर्वेद 36.24)

अन्वय- ॐ देवहितं तत् शुक्रं चक्षुः पुरस्तात् उच्चरत् । (वयं) शतं शरदः पश्येम । (वयं) शतं शरदः जीवेम । (वयं) शतं शरदः शृणुयाम । (वयं) शतं शरदः प्रब्रवामस । (वयं) शतं शरदः अदीनाः स्याम । च शतात् शरदः भूयः ।

मङ्गलम् NCERT Class 10th के कठिन शब्दार्थ

देवहितम् = देवताओं द्वारा धारण किया हुआ । चक्षुः = नेत्र,आँख । पुरस्तात् = आगे,सर्वप्रथम,पहले स्थान पर,पूर्व में । शरदः = वर्ष । अदीनाः = जो दीन नहीं हों, स्वावलम्बी । भूयः = फिर से ।

मङ्गलम् NCERT Class 10th हिन्दी अनुवाद/भावार्थ

हे परमपिता परमात्मा ! देवों द्वारा निरूपित यह शुक्ल वर्ण का नेत्र रूप (सूर्य) पूर्व दिशा में ऊपर उठ चुका है । हम सब सौ वर्षों तक देखते रहें, सौ वर्षों तक जीते रहें । सौ वर्षों तक सुनते रहें, सौ वर्षों तक शुद्ध रूप से बोलते रहें । सौ वर्षों तक स्वावलम्बी (अदीन) बने रहें और यह सब सौ वर्षों से भी अधिक चलता रहे ।

(2)

आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः ।
देवा नो यथा सदमिद् वृधेऽसन् अप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे ॥ (ऋग्वेद 1.89.1)

अन्वय- नः विश्वतः आ भद्राः क्रतवः यन्तु, अदब्धासः, अपरीतास, उद्भिदः (स्यु:) । असन् अप्रायुव सदमिद् रक्षितारः देवाः दिवेदिवे यथा नः वृधे ।

मङ्गलम् NCERT Class 10th कठिन शब्दार्थ

नः = हमारे लिए । भद्राः = कल्याणकारी । क्रतवः = सङ्कल्प, विचार । यन्तुः = आएँ । विश्वतः = चारों ओर से । उद्भिदः = प्रकट करने वाले ।

मङ्गलम् NCERT Class 10th हिन्दी अनुवाद/भावार्थ

हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से बाधित न किया जा सके (अपरीतास:) एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले (उद्भिदः) हों । प्रगति को न रोकने वाले (अप्रायुवः) तथा सदैव रक्षा में तत्पर देवगण प्रतिदिन (सदैव) हमारी समृद्धि और कल्याण के लिए तत्पर रहें ।

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