अरबसागरीय-नदियाँ-लूणी-नदी-के-किनारे-जसवन्त-सागर-बांध-जवाई-बाँद-बांकली-बांध-बने-है

27.2 अरब सागरीय नदियाँ

अरब सागरीय नदियाँ

अरब सागरीय नदियाँ :- कल हमने राजस्थान की नदियाँ के बारें पढ़ा था । इस अध्याय में आन्तरिक प्रवाह की नदियाँ के बारे में भी पढ़ लिया था । आज हम अरब सागर में गिरने वाली नदियों के बारें में अध्ययन करेंगे । जिसमें पश्चिम बनास नदी, लुणी नदी, सागी नदी, सगाई नदी, जँवाई नदी, सुकड़ी नदी, मीठड़ी नदी, जोजड़ी नदी, लीलड़ी नदी, गुहिया नदी, खारी नदी, बांडी नदी, साबरमती नदी, माही नदी, सोम नदी, जाखम नदी, भादर नदी, ईरू नदी, अनास नदी, मोरेन चाप नदी आदि है ।

पश्चिम बनास नदी

• राजस्थान की प्रमुख नदियाँ में पश्चिम बनास का भी स्थान है ।
• पश्चिमी बनास नदी का उद्गम अरावली की पहाड़ी (सिरोही) से होता है ।
• यह अपना जल कच्छ के रण (लिटिल रण) में जाकर डालती है ।

लुणी नदी

  • लूणी नदी का उद्गम स्थान अजमेर की नाग पहाडियाँ है ।
  • इसका प्रवाह क्षेत्र अजमेर, नागौर, जोधपुर, पाली, बाडमेर, जालौर है ।
  • लूणी नदी गुजरात के कच्छ के रण में जाकर विलुप्त हो जाती है ।
  • लूणी नदी का उपनाम लवणवती, मारवाड की गंगा है ।
  • कालीदास ने इसे अन्तःसलिला कहा व पुष्कर में इसे साक्री कहते है ।
  • इसके स्थान पर इसे सागरमती कहते है । जब इसमें सरस्वती नदी मिलती है  तब यह सरस्वती कहलाती है ।
  • बालोतरा (बाड़मेर) तक इसका पानी मीठा होता है तथा इसके बाद इसका पानी खारा हो जाता है । इसलिए इसे आधी खारी और आधी मीठी भी कहते है ।
  • जालोर में इसके प्रवाह क्षेत्र को रेल या नेडा कहते है । पश्चिमी राजस्थान की सबसे बड़ी नदी है ।
  • जोधपुर के जसवंत सागर बांध में इस नदी का पानी जाता है ।
  • लूणी नदी की लम्बाई 330 किलोमीटर है ।
  • लूणी नदी सहायक नदियाँ :- बांडी सुकड़ी लिलड़ी मीठड़ी जोजड़ी जँवाई सगाई । गुहिया खारी सागी लूणी नदी सहाई ।। बांडी नदी, सुकड़ी नदी, लिलड़ी नदी, मीठड़ी नदी, जोजड़ी नदी, जँवाई नदी, सगाई नदी, गुहिया नदी, खारी नदी और सागी नदी लूणी नदी की सहायक नदियाँ है ।
  • केवल जोजड़ी नदी लूणी नदी की वह सहायक नदी है, जो अरावली पर्वत से नहीं निकलती है और लूणी नदी के दायीं ओर से मिलती है ।
  • अरावली पर्वत से निकलने वाली नदी लूणी नदी की सहायक नदी बांयी ओर से मिलती है । (बांडी नदी, सुकड़ी नदी, लिलड़ी नदी, मीठड़ी नदी, जँवाई नदी, सगाई नदी, गुहिया नदी, खारी नदी और सागी नदी लूणी नदी की बांयी ओर से मिलने वाली सहायक नदियाँ है ।)

लूणी नदी की सहायक नदियाँ

सागी नदी

• सागी नदी लूणी नदी की सहायक नदी है ।

सगाई नदी

• सगाई नदी लूणी नदी की सहायक नदी है ।

जँवाई नदी
  • जँवाई नदी का उद्गम स्थान गोरिया गाँव की पहाड़ी (पाली) है ।
  • सुमेरपुर पाली में इस नदी पर जँवाई बाँध बना हुआ है, जिसे मारवाड़ का अमृत सरोवर कहते है ।
  • लूणी नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है ।
  • उदयपुर से सेई नदी का पानी जँवाई बांध में डालने के लिए सेई परियोजना बनाई गई है ।
  • इसकी खारी नदी, बाँडी नदी और सुकडी नदी सहायक नदीयाँ है ।
सुकड़ी नदी
  • सुकड़ी नदी का उद्गम अरावली की पहाड़ी (पाली) होता है ।
  • यह बाड़मेर में जाकर लूणी नदी में मिल जाती है ।
मीठड़ी नदी
  • मीठड़ी नदी का उद्गम अरावली की पहाड़ी (पाली) से होता है ।
  • यह बाडमेर में जाकर लूणी नदी में मिल जाती है ।
जोजड़ी नदी

• जोजड़ी नदी का उद्गम स्थान नागौर है ।
• यह जोधपुर में जाकर लूणी नदी में मिल जाती है ।
• लुणी नदी की एकमात्र सहायक नदी है जिसका उद्गम स्थान अरावली की पहाड़ी नहीं है ।

लीलड़ी नदी

• लीलड़ी नदी का उद्गम अजमेर में अरावली की पहाड़ी से होता है ।

गुहिया नदी

• गुहिया नदी लूणी नदी की सहायक नदी है ।

खारी नदी

• खारी नदी लूणी नदी की सहायक नदी है ।

बांडी नदी
  • बांडी नदी का उद्गम पाली जिले में होता है ।
  • यह लुणी नदी की सहायक नदी है ।

साबरमती नदी

  • साबरमती नदी का उद्गम उदयपुर में अरावली की पहाड़ियों से होता है ।
  • यह नदी 5 धाराओं के रूप में निकलती है ।
  • गुजरात में अहमदाबाद तथा साबरमती आश्रम इसी नदी के किनारे स्थित है ।
  • यह नदी अपना जल खम्भात की खाड़ी में ले जाकर डालती है ।
  • इस नदी का पानी उदयपुर की झीलों में डालने के लिए देवास सुरंग का निर्माण करवाया गया है ।

माही नदी

अरबसागरीय नदियाँ माही नदी के किनारे माही बजाज सागर बांध कडाणा बांध सोम कामदर सोम कमला अम्बा संगम त्रिवेणी संगम जाखम बाँध बने है
  • माही नदी का उद्गम स्थान मेहद झील (मध्यप्रदेश) है ।
  • इसका उपनाम बांगड़ की गंगा, कांठल की गंगा, आदिवासियों की गंगा और दक्षिण राजस्थान की स्वर्ग रेखा है ।
  • सुजलाम सुफलाम क्रांति का सम्बन्ध माही नदी से है ।
  • राजस्थान में माही नदी का प्रवेश खादुगाँव बाँसवाड़ा से होता है ।
  • माही नदी खम्भात की खाड़ी में जाकर गिरती है ।
  • राजस्थान में माही नदी का प्रवाह क्षेत्र बांसबाड़ा, प्रतापगढ़ और डुँगरपुर में होता है ।
  • माही नदी राजस्थान मे उल्टे के U (यू) आकार में बहती है ।
  • माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है ।
  • भारत में माही नदी का प्रवाह क्षेत्र : – MP, राजस्थान और गुजरात में है ।
  • माही नदी की कुल लम्बाई 576 किलोमीटर है । व राजस्थान मे लम्बाई 171 किलोमीटर है ।
  • माही नदी चम्बल के पश्चात् दूसरी बाहरमासी नदी है ।
  • इस नदी पर गुजरात में कडाणा बांध बना हुआ है ।
  •  इस नदी पर बांसवाडा मे माही बजाज सागर बांध तथा कागदी पिकअप बाँध बना हुआ है ।
  • डूँगरपुर में वेणेश्वर धाम त्रिवेणी संगम सोम, माही और जाखम नदी  है ।
  • माही नदी डूँगरपुर और बांसवाड़ा की प्राकृतिक सीमा बनाती है ।
  • सहायक नदियाँ :- सोजा भाई अमोचा । माही सहायक समोचा ।। अर्थात् सोम नदी, जाखम नदी, भादर नदी, ईरू नदी, अनास नदी, मोरेल नदी, चाप नदी माही की सहायक नदियाँ है ।

माही नदी की सहायक नदियाँ

सोम नदी
  • सोम नदी का उद्गम स्थान बीछामेड़ा की पहाड़ियाँ (उदयपुर) है ।
  • सोम नदी डूंगरपुर में जाकर माही नदी के साथ मिलकर वेणेश्वर नामक वेणी संगम बनाती है ।
जाखम नदी

• जाखम नदी का उद्गम स्थान छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़) है ।
• प्रतापगढ़ में इस पर जाखम बाँध बना हुआ है जो राजस्थान का सबसे ऊँचा (81 मीटर) है ।
• यह नदी डूँगरपुर में जाकर सोम नदी में मिल जाती है ।
• यह नदी पहाड़ी पर तेज गति से किये उतरती है ।

भादर नदी

• जाखम नदी का उद्गम स्थान छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़) है ।

ईरू नदी

• ईरू नदी माही नदी की सहायक नदी है ।

अनास नदी

• अनास नदी माही नदी की सहायक नदी है ।

मोरेन चाप नदी

• मोरेन नदी माही नदी की सहायक नदी है ।

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1 thought on “27.2 अरब सागरीय नदियाँ”

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