पंचायती राज (Rajasthan Panchayati Raj)
• पंचायती राज का उल्लेख अनुच्छेद 40 में है ।
• पंचायती राज का उल्लेख संविधान के भाग 4 में नीति निर्देशक तत्वों में है ।
• लार्ड रिपन ने 1882 में स्थानीय स्वशासन पर प्रारम्भ किया ।
• स्थानीय स्वशासन का जनक लार्ड रिपन है ।
• गाँधीजी ने कहा था कि भारत की आत्मा गाँवों में निवास करती है ।
• गाँधीजी ने ग्रामीण विकास का उल्लेख ‘माई पिक्चर ऑफ फ्री इण्डिया’ में किया ।
• स्वतंत्रता से पहले बीकानेर प्रथम रियासत थी, जिसमें 1928 में ग्राम पंचायत अधिनियम लागू किया हुआ ।
• सामुदायिक विकास कार्यक्रम 2 अक्टुम्बर 1952 को प्रारम्भ किया ।
• राजस्थान में पंचायती राज अधिनियम 1953 में लागू किया गया है ।
• भारत में पंचायती राज का आगमन 1919 के भारत सरकार अधिनियम से माना जाता है ।
बलवंत राय मेहता समिति
• बलवंत राय मेहता समिति 1957 को बनी ।
• बलवंत राय मेहता समिति ने त्रिस्तरीय पंचायती राज का उल्लेख किया है ।

- प्रथम स्तर – ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर)
- द्वितीय स्तर – पंचायत समिति (खण्ड/ ब्लॉक स्तर पर)
- तृतीय स्तर – (जिला स्तर पर)
पंचायती राज का उद्घाटन
- पंचायती राज का उद्घाटन 2 अक्टूम्बर 1959 को बगदरी गॉव नागौर में हुआ ।
- पंचायती राज का उद्घाटन कर्ता जवाहर लाल नेहरू था ।
- उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे ।
- राजस्थान के पंचायती राज मंत्री नाथू राम मिर्घा थे ।
- भारत में सर्वप्रथम पंचायती राज का उद्घाटन राजस्थान में हुआ ।
- पंचायती राज का जनक बलवंत राय मेहता थे ।
- आधुनिक पंचायती जनक राजीव गाँधी थे ।
- आन्ध्रप्रदेश भारत का दूसरा राज्य था, जिसमें 11 अक्टूबर 1950 को पंचायती राज का उद्घाटन किया ।
सादिल अली समिति
- सादिल अली समिति 1964 में बनी ।
- पंचायती राज के अध्ययन हेतु सादिल अली समिति गठित की गई ।
- पंचायती समिति प्रधान तथा जिल्य परिषद के जिला प्रमुख का चुनाव इन संस्थानों द्वारा किये जाने के स्थान पर वृहद् निर्वाचन मण्डल द्वारा किया जाना चाहिए । जिसमें ग्राम पंचायत का अध्यक्ष व सभी सदस्य शामिल हो ।
गिरधारी लाल व्यास समिति
- गिरधारी लाल व्यास समिति को 1973 में गठित की गई ।
- इसने ग्राम सेवक व ग्राम सचिव की नियुक्ति की सिफारिश की ।
- इसने पंचायती राज को पर्याप्त वित्तिय साधन उपलब्ध करवाये जाने की सिफारिश की ।
अशोक मेहता समिति
- 1977 में अशोक मेहता समिति का उद्घाटन हुआ ।
- इसने पंचायती राज को द्विस्तरीय करने की सिफारिश की ।(जिलास्तर और मण्डल पंचायत)
- इसने पंचायती राज के कार्य काल को चार वर्ष करने की सिफारिश की ।
- इसने कहा कि दलीय आधार पर चुनाव करवाये जाये ।
हनुमनथन समिति
• हनुमनथन समिति 1982 में गठित की गई ।
सहकारिया आयोग
• सहकारिया आयोग 1983 में गठित की गई ।
• केन्द्र राज्यों के मध्य सम्बन्धो की समीक्षा हेतु गठित किया गया ।
जी. वी. के राय समिति
• जी. वी. के राय समिति 1905 मे गठित की गई ।
• इसने पंचायती राज को चार स्तरीय करने की सिफारिश की ।
• पंचायती राज का कार्यकाल 8 वर्ष करने की सिफारिश की ।
एल. एम. सिंघवी (लक्ष्मी मल सिंघवी)
• L.M. Singhvi समिति का गठन 1985 में किया गया ।
• इसने पंचायती राज को सरकार का तृतीय स्तर घोषित करने की सिफारिश की । इसके लिए संवैधानिक संशोधन किये जाये ।
• ग्राम न्यायलयों की स्थापना व ग्राम सभा का गठन करने की सिफारिश की ।
पी. के. थुगन समिति
• पी. के. थुगन समिति का गठन 1988 में किया गया ।
बी.एन. गॉर्डगिल समिति (B.N. Gordgil Samiti)
• बी.एन. गॉर्डगिल समिति (B.N. Gordgil Samiti) का गठन 1989 में किया गया ।
• वर्तमान त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का आधार है ।
हरलाल सिंह खर्रा समिति (Harlal Singh Kharra Samiti)
• हरलाल सिंह खर्रा समिति का गठन 1990 में किया गया ।
• इसने जिला परिषद् एवं ग्रामीण विकास अभिकरण के विलय की सिफारिश की ।
कटारिया समिति (Katariya Samiti)
• कटारिया समिति का गठन 2009 में किया गया ।
• कटारिया समिति का अध्यक्ष गुलाब चन्द बने ।
• इसने पंचायती राज के 29 विषय पंचायती राज को चरणबद्ध तरीके से सौपने की सिफारिश ।
73 वां संविधान संशोधन
• 73 वां संविधान संशोधन के समय प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हाराव तथा संयुक्त प्रवर समिति अध्यक्ष नाथूराम मिर्घा थे ।
• 73 वे संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के नाम से जाना जाता है । इसे 24 अप्रैल 1993 को भारत में लागू किया, इसलिए 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाते है ।
• पंचायती राज को भारत में सर्वप्रथम कर्नाटक में लागू किया गया ।
• पंचायती राज को राजस्थान में 23 अप्रैल 1994 में लागू हुआ ।
• 73 वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया है ।
• एल. एम. सिघंवी (L.M. Singhavi) की सिफारिश के आधार पर पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया है ।
• 73 वाँ संविधान संशोधन का सम्बन्ध पंचायती राज से है ।
• इसे संविधान के 9 वे भाग में जोड़ा गया है ।
• इसे संविधान की 11 वीं अनुसूची में जोड़ा गया है ।
• इसके तहत पंचायती राज को 29 विषय प्रदान किये गये है ।
• अनुच्छेद 243 क से ण तक जोड़ा गया ।
ग्राम पंचायत
• ग्राम पंचायतों की संख्या 9894 है ।
• सर्वाधिक उदयपुर में (543) तथा न्युनतम जैसलमेर (140) है ।
ग्राम पंचायत का गठन
• 3 हजार की जनसंख्या पर 9 वार्ड पंच चुने जायेंगे ।
• एक हजार की जनसंख्या बढ़ने पर दो वार्ड पंच बढ़ा दिये जाते है ।
ग्राम पंचायत के सदस्य

• निर्वाचित सदस्य :- 1. सरपंच 2. उपसरपंच 3. वार्ड पंच ।
• प्रशासनिक अधिकारी :- 1. ग्राम सेवक 2. ग्राम सचिव ।
• ग्राम पंचायत की बैठक एक वर्ष में चार अनिवार्य है । (26 जनवरी, 1 मई, 15 अगस्त और 2 अक्टुम्बर)
• सामान्यतः 15 दिन में एक बैठक होती है ।
• बैठक के लिए गणपूर्ति सदस्यों की संख्या दशांक होनी चाहिए ।
• पंचायतीराज चुनाव राजा निर्वाचन आयोग करवाता है ।
ग्राम पंचायत के आरक्षण
• महिलाओं को आरक्षण पंचायतीराज में एक तिहाई दिया गया है ।
• 2008-09 में महिलाओं के आरक्षण पंचायतीराज में एक तिहाई से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया लेकिन बाद में न्यायालय ने रोक लगा दी ।
• SC, ST को पंचायतीराज में आरक्षण जनसंख्या के अनुपात के आधार पर दिया गया है ।
सरपंच
• ग्राम पंचायत का मुखिया होता है ।
• इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
• प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा चुना जाता है ।
• पीठासीन अधिकारी सरपंच को शपथ दिलाता है ।
• सरपंच अपना त्याग पत्र खण्ड विकास अधिकारी (B.D.O) को सौंपता है ।
• सरपंच पर अविश्वास प्रस्ताव दो वर्ष पश्चात् लाया जा सकता है ।
• सरपंच पर अविश्वास प्रस्ताव 5 वें वर्ष नहीं लाया जा सकता है ।
• सरपंच पर अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए 3/4 बहुमत की आवश्यकता होती है ।
उपसरपंच
• उपसरपंच का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा चना जाता है ।
• इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
• उपसरपंच का चुनाव वार्ड पंच अपने में से ही करते हैं ।
• उपसरपंच को शपथ पीठासीन अधिकारी दिलाता है ।
• उपसरपंच अपना त्याग पत्र खण्ड विकास अधिकारी (B.D.O) को सौंपता है ।
• उपसरपंच पर अविश्वास प्रस्ताव दो वर्ष पश्चात् लाया जा सकता है ।
• उपसरपंच पर अविश्वास प्रस्ताव 5 वें वर्ष नहीं लाया जा सकता है ।
• उपसरपंच पर अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए 3/4 बहुमत की आवश्यकता होती है ।
वार्डपंच
• वार्डपंच वार्ड का मुखिया होता है ।
• इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
• वार्डपंच प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा चुना जाता है ।
• इसको भी पीठासीन अधिकारी शपथ दिलाता है ।
• यह भी अपना त्याग पत्र खण्ड विकास अधिकारी (B.D.O) को सौंपता है ।
• इसके विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है ।
• सरपंच उपसरपंच और वार्डपंच की योग्यताएँ –-
• सरपंच उपसरपंच और वार्डपंच की योग्यताएँ –
• कम से कम 21 वर्ष की आयु हो ।
• 2 से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए । (21 दिसम्बर 1995 के बाद)
• उम्मीदवार के घर शोचालय हो । (8 दिसम्बर 2014 से लागू) ।
• 8 वीं पास व आदिवासी क्षेत्र में 5 वीं पास (20 दिसम्बर 2014 से लागू) ।
पंचायत समिति
• राजस्थान में कुल पंचायत समिति 295 है ।
• सर्वाधिक पंचायत समितियाँ बाड़मेर, उदयपुर (17-17) है ।
• न्यूनतम पंचायत समितियाँ जैसलमेर (3) है ।
• पंचायत समिति का गठन 1 लाख की जनसंख्या पर 15 पंचायत समिति के सदस्य चुने जाते है ।
• 15 हजार जनसंख्या बढ़ने पर 2 पंचायत समिति की संख्या बढ़ा दी जाती है ।
• पंचायत समिति के सदस्य
• निर्वाचित सदस्य :- (1) प्रधान (2) उपप्रधान (3) पंचायत समिति के सदस्य ।
• पदेन सदस्य :- उस क्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों के सरपंच और उस क्षेत्र का विधायक ।
• प्रशासनिक अधिकारी :- BDO (खण्ड विकास अधिकारी) ।
प्रधान
• पंचायत समिति का मुखिया होता है ।
• प्रधान का चुनाव अप्रत्यक्ष मतदाताओं द्वारा होता है ।
• इसका चुनाव पंचायत समिति के सदस्य के सदस्यों के द्वारा किया जाता है ।
• इसको शपथ उपखण्ड अधिकारी दिलाता है ।
• इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
• यह अपना त्यागपत्र जिला प्रमुख को सौंपता है ।
उपप्रधान
• इसका चुनाव पंचायत समिति के सदस्यों के द्वारा किया जाता है ।
• इसको शपथ उपखण्ड अधिकारी दिलाता है ।
• इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
• यह अपना त्यागपत्र प्रधान को सौंपता है ।
पंचायत समिति के सदस्य
• इनके चुनाव प्रत्यक्ष मतदाताओं द्वारा होता है ।
• इसको शपथ पीठासीन अधिकारी दिलाता है ।
• यह अपना त्यागपत्र प्रधान को सौंपता है ।
• इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
पंचायत समिति के सदस्य के योग्यताएँ –
• कम से कम 21 वर्ष की आयु ।
• 2 से अधिक संतान नहीं होनी चाहिए ।
• 10 वीं पास ।
• उस क्षेत्र की मतदाता सूच में नाम हो ।
• एक महिनें में एक बैठक होनी चाहिए, अनिवार्य बैठकें ग्राम पंचायत के समान चार होती है ।
जिला परिषद्
• 33 जिला परिषद् है ।
• चार लाख की जनसंख्या पर 17 जिला परिषद् के सदस्य चुने जाते हैं ।
• एक लाख की जनसंख्या बढ़ने पर 2 जिला परिषद के सदस्य बढ़ा दिए जाते है ।
• जिला परिषद् की बैठक तीन महिने में 1 बार अनिवार्य है ।
जिला परिषद् के सदस्य
• निर्वाचित :- जिला प्रमुख, उपजिला प्रमुख और जिला परिषद के सदस्य ।
• पदेन सदस्य :- विधायक, सांसद और प्रधान ।
• प्रशासनिक अधिकारी :- मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ।
जिला प्रमुख
• जिला प्रमुख का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा चुना जाता है ।
• जिला प्रमुख का चुनाव जिला परिषद् के सदस्यों द्वारा किया जाता है ।
• इसको शपथ जिला कलेक्ट्रर दिलाता है ।
• यह अपना त्याग पत्र संम्भागीय आयुक्त को देता है ।
उपजिला प्रमुख
• जिला परिषद् के सदस्य अपनें में से ही किसी एक को उपजिला प्रमुख के रूप में चुनाव करते है ।
• इसको शपथ जिला कलेक्ट्रर दिलाता है ।
• यह अपना त्याग पत्र जिला प्रमुख को देता है ।
जिला परिषद् के सदस्य
• जिला परिषद् के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा चुना जाते है ।
• इसको शपथ जिला कलेक्ट्रर दिलाता है ।
• यह अपना त्याग पत्र जिला प्रमुख को देता है ।
• इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
जिला परिषद् के योग्यता
• कम से कम 21 वर्ष की आयु होनी चाहिए ।
• 10वीं पास होना चाहिए ।
विशेष तथ्य
• 73 वे संविधान संशोधन के अनुसार पंचायतीराज को 29 विषय प्रदान करने की घोषणा की गई ।
• पहले पंचायती राज को 16 विषय प्रदान किये गये थे ।
• 2 अक्टुम्बर 2010 को 5 विषय और प्रदान किये गये । इस प्रकार वर्तमान में पंचायतीराज को 21 विषय दिये जा चुके है । 1 . कृषि 2. प्रारम्भिक शिक्षा 3. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा 4. महिला व बाल विकास 5. सामाजिक न्याय व अधिकारिता ।
• ग्राम पंचायत की सबसे छोटी इकाई वार्ड सभा होती है । एक ग्राम पंचायत में न्यूनतम 9 वार्ड होते है ।
• वार्ड सभा की बैठक एक वर्ष से दो बार की होती है ।
• बैठक की गणपूर्ति के लिए 1/10 सदस्यों का उपस्थित होना अनिवार्य है ।
• भारत का पहला राज्य राजस्थान है जहाँ वार्ड सभा का गठन किया गया ।
• 1999 में अशोक गहलोत ने सांगानेर पंचायत समिति के मुहाना (जयपुर) ग्राम पंचायत में ग्राम सभा का उद्घाटन किया ।
• राजस्थान में सबसे पहले सीकर जिले की पंचायत समिति पिपराली के मलखेड़ा गाँव में आदर्श ग्राम पंचायत कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया है ।
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