14 राजस्थान के लोकगीत Best

राजस्थान के लोकगीत (Rajasthan Ke Lokgit) :- भारत एक त्यौहारों का देश है । इन त्यौहारों पर लोग खुशी मनाने के लिए त्यौहारों के गीत गाते है । जिस तरह राजस्थान में त्यौहार समय अर्थात् मौसम के अनुसार आते है । उसी प्रकार राजस्थान के गीत (Rajasthan ke Git) भी अनेक तरह के होते है और मौसम के अनुसार भी होते है । गीत दुःख, सुख, यश और भक्ति को व्यक्त करते है । देवेन्द्र सत्यार्थी ने लोकगीतों को किसी संस्कृति का मुंह बोला चित्र कहा है । लोकगीतों के संस्मरण को चोबोली कहते है ।

राजस्थान के लोकगीत

प्रेमगीत

• लावणी :- नायक अपनी नायिका को बुलाने के लिए लावणी गीत गाया जाता है ।
• मुमल :- जैसलमेर का मुमल लोक-गीत है । मुमल श्रृंगारिक गीत है ।मुमल एक लोद्रवा (जैसलमेर) की राजकुमारी थी ।
• जीरों :- जीरो गीत में महिला अपने पति से जीरा ना बोने की विनती करती है ।
• हमसीढ़ो :- भील स्त्री व पुरुष मिलकर हमसीढ़ो गीत गाते हैं ।
• पपीहा :- पपीहा लोक-गीत दामपत्य जीवन का आदर्श का परिचायक है ।
• पणिहारी :- पणिहारी लोक-गीत में स्त्री को अपने पतिव्रत धर्म पर अटल रहना बताया गया है ।

विरह

• कुरंजा :- एक विरहणी महिला अपने प्रदेश गये हुए पति की याद में कुरंजा गीत गाती है । कुरंजा लोक-गीत में कुरंजा एक पक्षी है ।
• झोरावा :- जैसलमेर में एक विरहणी महिला अपने प्रदेश गये पति की याद में झोरावा गीत गाती है ।
• कागा :- एक विरहणी महिला कोवे को प्रलोभन देकर उड़ाती है और अपने प्रियतम के आने का शगुन जानना चाहती है ।
• पीपली :- वर्षा ऋतु में एक विरहणी महिला द्वारा बीकानेर, शेखावाटी व मारवाड़ क्षेत्र में पीपली गीत गाया जाता है ।
• सुंवठिया :- भील स्त्री अपने प्रदेश गये पति की याद में सुंवठिया गीत गाती है ।
• फलसड़ा :- विवाह के समय मेहमानों के स्वागत में फलसड़ा गीत गाया जाता है ।
• केसरिया बालम :- एक महिला द्वारा पति की प्रतिक्षा में केसरिया बालम गीत गाया जाता है । सर्वप्रथम केसरिया बालम गीत मांगी बाई ने गाया ।
• ओल्यू :- ओल्यू गीत किसी की याद में गाया जाता है ।

विवाह

• बन्ना बन्नी :- विवाह के अवसर पर बन्ना-बन्नी गीत गाया जाता है ।
• कामण :- दूल्हे को जादू टोनों से बचाने के लिए कामण गीत गाया जाता है ।
• सीठणे :- सीठणे गीतों को ‘हंसी ठिठोली गीत’ व ‘गाली गीत’ भी कहते है ।
• जलो और जलाल :- बरात का डेरा देखने जाते समय जलो और जलाल लोक-गीत गाते हैं ।
• परणेत :- फेरों के समय परणेत गीत गाया जाता है ।
• झिल-मिल/ कुकड़लू :- तोरण मारते समय झिल-मिल/ कुकड़लू गीत जाते है । झिल-मिल/ कुकड़लू गीत गाते समय सांस दामाद का नापचोक करती है ।
• दुपटा :- विवाह के समाय दूल्हे की सालियों द्वारा दुपटा गीत गाया जाता है ।
• पावणा :- जब जवाँई पहली बार ससुराल जाता है, तब पावणा गीत गाया जाता है । भोजन के पश्चात् पावणा गीत का मूल्य अदा करता है ।
• चिरमी :- चिरमी गीत वधू द्वारा भाई व पिता की प्रतिक्षा में गाया जाता है ।
• मोरिया :- मोरिया गीत ऐसी लडकी गाती है, जिसका विवाह सम्बन्ध तय हो गया लेकिन विवाह में देरी है ।

जच्चा-बच्चा

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• भदावा :- परिवार के मुखिया का नाम आदर पूर्वक लेकर जो गीत गाया गया जाता है, वह भदावा कहलाता है ।
• जच्चा :- बच्चा होने पर जच्चा गीत गाया जाता है ।
• होलरिया :- जैसलमेर में बच्चा होने पर होलरिया गीत गाया जाता है ।

भक्तिगीत

• हरजस :- जिस गीत में कृष्ण व राम का उल्लेख हो वह हरजस कहलाता है । हरजस एक सगुण भक्ती लोक-गीत है ।
• कुकड़ी :- रात्री जागरण का अन्तिम लोक गीत है ।
• लांगुरिया :- करौली में कैला देवी के मेले में लांगुरिया भक्ति लोक-गीत गाया जाता है । लांगुरिया लोक-गीत मुख्य रूप से मीणा जाति के लोग गाते है ।

त्यौहार

• फाग :- होली के अवसर पर फाग गीत गाया जाता है ।
• हिण्डोल्या :- श्रावण मास में तीज के अवसर पर हिण्डोल्या गीत गाया जाता है ।
• गणगौर :- गणगौर सर्वाधिक गीतों वाला त्यौहार है । सबसे लम्बा लोक-गीत जीण माता का है ।
• घुड़ला :- घुड़ला लोक-गीत मारवाड का प्रसिद्ध है ।

अन्य गीत

• ढोलामारु :- ढोलामारु गीत सिरोही में गीत गाया जाता है । ढोलामारु रा चित्र जोधपुर चित्रशैली का है । ढोलामारु रा दोहा कवि कलोत (कवि कलोल) ने लिया था ।
• गोरबन्द :- गोरबन्द गीत शेखावटी व मारवाड़ क्षेत्र में गाया जाता है । गोरबन्द गीत में गोरबन्द ऊँट के गले का आभूषण है ।
• बिछुड़ा :- बिछुड़ा गीत हाड़ौती क्षेत्र में गाया जाता है ।
• घूमर :- मारवाड में घूमर गीत ‘लुर लोकगीत’ कहते है ।
• दारूड़ी :- राजा- महाराजाओं की महफिलों में दारूड़ी गीत गाया जाता है ।
• फवाड़े :- वीर पुरुष की वीरता के बखान के लिए फवाड़े गीत गाया जाता है ।
• कलाकी :- कलाकी वीर रस प्रदान लोक-गीत है ।
• पंछीडा :- हाड़ौती व ढ़ुंढ़ाड़ी क्षेत्र में गाया जाता है ।
• ईण्डोली :- पानी भरते समय गाया ईण्ड़ोली गीत गाया जाता है ।
• बम रसिया :- बम रसिया लोक-गीत भरतपुर में गाया जाता है ।
• पटेल्या, बिछिया, लालर :- पर्वतीय क्षेत्र गाये जाने वाले लोक-गीत है ।

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