राजस्थान की प्रमुख घास
राजस्थान की प्रमुख घास : राजस्थान के वन अध्याय को आगे बढ़ाते हुए । आज हम राजस्थान की प्रमुख घास के बारें में अध्ययन करेंगे । कल हमने राजस्थान के प्रमुख वृक्ष के बारें अध्ययन किया था । आज हम राजस्थान में उगनें वाली प्रमुख घास के बारें में अध्यय करेंगे । राजस्थान में कई प्रकार की घास है । जैसे – सेवण घास, मोथा घास, ऐंचा घास, बुर घास, कांग्रेस घास, खस घास, धामन या मुरात घास आदि ।
सेवण घास
• सेवण घास सर्वाधिक जैसलमेर में पायी जाती है ।
• लाठी सीरीज में जैसलमेर में पायी जाती है ।
• इसको ‘गोड़ावन पक्षी की शरणस्थली’ कहलाती है ।
• यह घास राजस्थान की सबसे लम्बी घास है ।
• यह घास भेड़ों का प्रिय भोजन है ।
• सेवण घास के भाग को ‘लीलोण’ कहते है ।
• सेवण घास का वैज्ञानिक नाम ‘लसीयूकस सीडीकुश’ है ।
मोथा घास
• मोथा घास केवला देव घना पक्षी विहार भरतपुर में है ।
ऐंचा घास
• ऐंचा घास केवला देव घना पक्षी विहार भरतपुर में है ।
• ऐंचा घास में पक्षी उलझकर मर जाते है ।
बुर घास
• बुर घास बीकानेर में है ।
कांग्रेस घास
• कांग्रेस घास अमेरिका से मंगवायी गयी थी ।
• इसको ‘गाजर घास’ भी कहते है ।
• यह घास सर्वाधिक जयपुर में पायी जाती है ।
• इस घास से दमो और एलर्जी रोग होते है ।
खस घास
• खस घास भरतपुर, टोक और सवाई माधोपुर में पाई जाती है ।
• इसकी जड़ो से सुगन्धित तेल निकाला जाता है, जिससे इत्र और शरबत तैयार किया जाता है ।
पामोरोजा व रोशा घास
• पामोरोजा व रोशा घास से तंबाकू को सुगन्धित की जाती है ।
धामन या मुरात घास
• धामन या मुरात घास सर्वाधिक राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में पायी जाती है ।
विशेष तथ्य
• गुगल की खेती चम्बल के बीड़ क्षेत्र में की जाती है ।
• गुगल एक औषधीय पौधा है ।
प्रमुख कार्यक्रम (योजनाएँ)
मरू प्रसार रोकथाम कार्यक्रम
• मरू प्रसार रोकथाम कार्यक्रम 1999-2000 में 10 जिलों में चलाया गया ।
मरूस्थल वृक्षारोपन कार्यक्रम
• मरूस्थल वृक्षारोपन कार्यक्रम 1978 में 10 जिलों में चलाया गया ।
• केंन्द्र सरकार का योगदान 75 % राज्य सरकार का योगदान – 25 % मरूस्थल वृक्षारोपन कार्यक्रम में रहा ।
राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना फेज प्रथम
• राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना फेज प्रथम 2008 में चलाई गई ।
• जापान के सहयोग से राजस्थान के 18 जिलों में चलाई गई ।
राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना फेज द्वितीय
• राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना फेज द्वितीय 2010 में जापान के सहयोग से चलाई गई ।
पंचवटी अभियान
• पंचवटी अभियान 11 जुलाई 2007 को चलाया गया ।
• इस अभियान के तहत प्रत्येक औषधालय में पाँच औषधीय पौधे लगाना था ।
हरित राजस्थान योजना
• हरित राजस्थान योजना 18 जून 2009 को शुरू हुई ।
• इस योजना के तहत डुंगरपुर के खेमारू गाँव ने एक दिन में 6 लाख 12 हजार पौधे लगाये, जिसका नाम गिनीज ऑफ बुक में है ।
• पाकिस्तान ने 2013 में 7 लाख से अधिक पौधे लगाये और इस रिकॉर्ड को तोड़ दिया ।
• बाड़मेर का चोहटन क्षेत्र गोंद उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है ।
• बाडमेर के चोहटन क्षेत्र में सुईया का मेला लगता है, जिसे राजस्थान का ‘अर्धकुम्भ’ भी कहते हैं ।
• भारत की प्रथम खजूर पौध प्रयोगशाला चौपासनी जोधपुर में स्थापित की गई ।
समाजिक वानिकी योजना
• समाजिक वानिकी योजना 1985- 1986 में शुरू की गई ।
जनता वन योजना
• जनता वन योजना 1996 में शुरू की गई ।
अमृता देवी स्मृति वन पुरस्कार
• अमृता देवी स्मृति वन पुरस्कार को 1994 में शुरू किया ।
• अमृता देवी स्मृति वन पुरस्कार की राशि एक लाख रूपये है ।
• राजस्थान का वन क्षेत्र का सबसे बड़ा पुरस्कार है ।
• प्रथम अमृता देवी स्मृति वन पुरस्कार पाली निवासी गंगाराम विश्नोई को दिया गया ।
• वनक्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार वानिकी पंड़ित पुरस्कार बी॰ सी॰ जाट को दिया गया ।
पूज्य वृक्ष तथा वंश
• पीपल चौहानों का आराध्य वृक्ष है ।
• वटवृक्ष कच्छवाह वंश का आराध्य वृक्षा है ।
• अशोक (आशापाला), हाड़ा वंश का आराध्य वृक्ष है ।
• कदम्ब वृक्ष यादव वंश का आराध्य वृक्ष है ।
• नीम का पेड़ राठौड़ वंश का आराध्य वृक्ष है ।
• खेजड़ी तोमर वंश का आराध्य वृक्ष है ।
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