चित्तौड़गढ़ दुर्ग (Chittodgarh Durga) का इतिहास
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था ?
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण मौर्यवंशीय राजा चित्रांगद मौर्या ने सातवीं शताब्दी में करवाया था ।
• यह गिरी दुर्ग है ।
• यह गिरी दुर्गों में सबसे प्राचीन है ।
• इसका निर्माण चित्रांगद मौर्य ने (8वीं शताब्दी) में करवाया था ।
• यह बेड़च व गम्भीरी नदियों के संगम पर बना है ।
• यह केवल एक श्रेणी धान्व दुर्ग को छोड़कर सभी श्रेणियों का दुर्ग है ।
• इसको ‘राजस्थान का गौरव’ कहते है ।
• इसको ‘सभी दुर्गों का सिरमौर’ कहते है ।
• इसको ‘दक्षिण का प्रवेश द्वार’ कहते है ।
• इसमें रानी पदमनी व गौरा बादल के महल बने हुए हैं ।
• इसमें जयमल व फत्ता की हवेलियाँ बनी हुई है ।
• इसमें कुम्भा का कुम्भश्याम मन्दिर बना हुआ है ।
• इसमें एक प्राचीन सुर्य मन्दिर है, जो वर्तमान में कालिका माता का मन्दिर कहलाता है ।
• चित्तौड़गढ़ दुर्ग एकमात्र दुर्ग है, जिसमें पहले खेती की जाती थी ।
• इसका आकार व्हेल मछली के समान है ।
• इसमें 27 देवरी स्थित है, जिसे सतविश देवरी कहते है ।
• बनवीर ने इसमें नवलखा भण्डार का निर्माण करवाया, जिसे कोटा महल भी कहते है ।
• इसमें एक खिडकी बनी हुई है, जिसे लाखोटा की बारी कहते हैं ।
• चित्तौडगढ़ दुर्ग सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट है ।
• इसमें के बारे में कहावत है गढ़ तो गढ़ चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़िया ।
क्या आपको पता है ? चित्तौड़गढ़ दुर्ग में कौन-कौनसे स्तम्भ है ।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में विजय स्तम्भ और कीर्ति स्तम्भ है ।
विजय स्तम्भ
• कुम्भा ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मालवा विजय के उपलक्ष में ‘विजय स्तम्भ’ का निर्माण करवाया ।
• विजय स्तम्भ के उपनाम – जयस्तम्भ, विजय स्तम्भ, विट्री ट्रावर, किर्तिस्तम्भ, विष्णु ध्वज, हिन्दु देवी-देवताओं का अजायबघर, भारतीय मूर्ति कला का विश्व कोष ।
• विजय स्तम्भ का वास्तुकार जैता था ।
• विजय स्तम्भ के मुख्यद्वार पर विष्णु की मूर्ति लगी हुई है ।
• विजय स्तम्भ की ऊँचाई 122 फिट (37 मीटर), सिढ़ियाँ 157 तथा मंजिल 9 है ।
• तीसरी मंजिल पर नौ बार अरबी भाषा में अल्ला लिखा हुआ है ।
• राजस्थान पुलिस का प्रतिक चिन्ह विजय स्तम्भ है ।
• विजय स्तम्भ प्रथम इमारत है, जिस पर डाक टिकट 15 अगस्त 1949 को जारी की गई ।
• विद्वानों ने विजय स्तम्भ को लोक जीवन का रंगमंच कहा है
• कर्नल जेम्स टॉड ने इसे कुतुम्बमीनार से भी बेहतर कहा है ।
• राजस्थान का कुतुम्बमीनार ऊषालाट (भीमलाट) को कहा जाता है ।
• फर्ग्युसन ने विजय स्तम्भ की तुलना रोम में स्थित टार्जन से की ।
कीर्ति स्तम्भ
• क्रीर्ति स्तम्भ प्रसस्ति चित्तौड़गढ़ दुर्ग में है ।
• क्रीर्ति स्तम्भ का निर्माण जैन व्यापारी जीजा ने करवाया ।
• क्रीर्ति स्तम्भ के वास्तुकार अत्रि भट्ट और महेश भट्ट थे ।
• क्रीर्ति स्तम्भ भगवान आदिनाथ को समर्पित है ।
क्या आप जानते है ? चित्तौड़गढ़ दुर्ग में कितने साके हुए ।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में सर्वाधिक तीन साके हुए ।
प्रथम साका
• चित्तौड़गढ़ दुर्ग में प्रथम साका 1303 में अल्लाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के कारण हुआ ।
• चित्तौड़गढ़ के शासक रतनसिंह की रानी रानी पद्मनी जौहर ने करके प्रथम साका किया ।
• यह राजस्थान का सबसे बड़ा जौहर था, जिसमें रानी पद्मनी के साथ लगभग 1600 महिलाओं ने जौहर किया ।
• प्रथम साका अग्नि जौहर था ।
• अल्लाउद्दीन खिलजी ने इसका नाम बदलकर खिज्राबाद रखा ।
दूसरा साका
• चित्तौड़गढ़ दुर्ग में दूसरा साका 1534 में गुजरात का शासक बहादुर शाह के आक्रमण के कारण हुआ ।
• चित्तौड़गढ़ के शासक विक्रमादित्य की रानी रानी कर्मावती ने जौहर करके दूसरा साका किया ।
तीसरा साका
• चित्तौड़गढ़ दुर्ग में तीसरा साका 1567-68 में अकबर के आक्रमण के कारण हुआ ।
• चित्तौड़गढ़ के शासक उदयसिंह की रानी फूलकंवर ने जौहर करके तीसरा साका किया ।
• अकबर के आक्रमण के समय चित्तौड़गढ़ की सेना का नेतृत्व जयमल- फत्ता ने किया तथा वीरगति को प्राप्त हुए ।
भैसरोड़गढ़ किस जिले में है ?
भैसरोड़गढ़ चित्तौड़गढ़ जिले में है ?
भैंसरोड़गढ़ दुर्ग (Bhaisrodgarh durg)
• यह चित्तौड़गढ़ में है ।
• यह एक जल दुर्ग है ।
• इसका निर्माण भैसाशाह व रोड़ा चारण ने किया था ।
• भैंसरोड़गढ़ दुर्ग व्यापारियों द्वारा बनाया गया एकमात्र दुर्ग है ।
• यह चम्बल व बामनी नदियों के संगम पर बना है ।
• इसको ‘राजस्थान का वैल्लोर’ भी कहा जाता है ।
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